थाती

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

थाती संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ थात]

१. समय पर काम आने के लिये रखी हुई वस्तु ।

२. बह वस्तु जो किसी के पास इस विश्वास पर छोड़ दी गई हो कि वह माँगने पर दे देगा । धरोहर । उ॰— दुइ बरदान भूप सन थाती । माँगहु आज जुड़ाबहु छाती ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. संचित धन । इकट्ठा किया हुआ धन । रक्षित द्रव्य । जमा पूँजी । गथ ।

४. दूसरे का धन जो किसी के पास इस विचार से रखा हो कि वह माँगने पर दे देगा । धरोहर । अमानत । उ॰— बारहि बार चलावत हाथ सो का मेरी छाती में थाती धरी है ।— (शब्द॰) ।