दाब

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

दाब संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दर्प, हिं॰ दाप]

१. दबने या दबाने का भाव । एक वस्तु का दूसरी वस्तु पर उस ओर को जोर जिस ओर वह दूसरी वस्तु हो । अपनी ओर को खींचनेवाले जोर का उलटा । चाँप । क्रि॰ प्र॰—पहुँचाना ।— लगाना ।

२. किसी वस्तु का वह जोर जो नीचे की वसेतु पर पड़े । भार । भोझ । जैसे,—इसपर पत्थर की दाब पड़ी है इसी से यह चिपटा हो गया है । क्रि॰ प्र॰—डालना ।— पड़ना । मुहा॰— किसी की दाब तले होना = किसी के वश में या अधीन होना ।

३. आतंक । अधिकार । रोब । आधिपत्य । शासन । बडे़ या प्रबल के प्रति छोटे या अधिन का संकोच या भय और छोटे या अधीन के प्रति बडे़ या प्रबल का प्रभुत्व । मुहा॰—दाब दिखाना = अधिकार जताना । हुकूमत या डर दिखाना । प्रभुत्व प्रकट करना । दाँब मानना = किसी बडे़ से डरना या सहमना । प्रभुत्व स्वीकार करना । वश में रहना । जैसे,— वह लड़का किसी की दाब नहीं मानता । दाब में रखना = शासन में रखना । जैसे,— लड़के को दाब में रखो, नहीं तो बिगड़ जायगा । दाब में होना = कस में होना । अधीन होना ।