दृग

विक्षनरी से

}दृग का अर्थ होता है नेत्र। दृग शब्द का प्रयोग प्रायः काव्य में अधिक होता है।

उदाहरण

  • जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान।
  • नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन।।

मूल

  • दृग मूलतः संस्कृत का शब्द है।

अन्य अर्थ

  • ऑँख
  • नेत्र
  • चक्षु
  • नयन

संबंधित शब्द

हिंदी में

अन्य भारतीय भाषाओं में निकटतम शब्द

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

दृग पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ दृश, समास दृक्]

१. आँख । उ॰—जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान । कौतुक देखहिं शैल वन भूतल भूरि निधान ।—तुलसी (शब्द॰) । मुहा॰—दृग डोलना या देना = नजर डालना । देखना । उ॰— पाइँ परे हुतै प्रीतम त्यौं कहि केशव क्यों हुँ न मैं दृग दीनी ।—केशव (शब्द॰) । दृग फेरना = आँख फेरना । अप्रसन्न रहना । उ॰—दुःख और मैं कासों कहौं को सुनै ब्रज की वनिता दृग फेरे रहैं ।—पद्माकर (शब्द॰) ।

२. देखने की शक्ति । दृष्टि । उ॰—श्रवण घटहु पुनि दृग घटहु घटो सकल बल देह । इते घटे घटिहै कहा जो न घटै हरि नेह ।—(शब्द॰) ।

३. दो की संख्या ।