दोन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

दोन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्रोणि] दो पहाडड़ों के बीच की नीची जमीन ।

दोन ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ दो + नद]

१. दो नदियों के बीच की जमीन । दोआवा ।

२. दो नदियों का संगम स्थान ।

३. दो नदियों का मेल ।

४. दो वस्तुओं की संधि या मेल । उ॰—तिय तिथि तरणि किशोर वय पुन्यकाल सम दोन । काहू पुन्यनि पाइयत जैस संधि संक्रोन ।—बिहारी (शब्द॰) ।

दोन ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ द्रोण] काठ का वह लंबा और बीच से खोखला टुकड़ा जिससे धान के खेतों में सिंचाई की जाती है । विशेष—यह धान कूटने की ढेकली के आकार का होता है और उसी की तरह जमीन पर लगा रहता है । पानी लेने के लिये इसका एक सिरा बहुत चौड़ा होता है जो एक ताल में रहता है । इस सिरे को पहले ताल में डुबाते हैं और जब उसमें पानी भर आता है तब उसे ऊपर की ओर उठाते हैं, जिससे उसका दूसरा सिरा नीचे हो जाता है और उसके खोखले मार्ग से पानी नाली में चला जाता है ।

२. अन्न की एक माप । द्रोण ।