पँवारा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पँवारा पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रवाद]

१. कीर्ति की गाथा । वीरता का आख्यान । उ॰—बीर बड़ो बिरुदैत बली, अजहूँ जग जागत जासु पँवारो । सो हनुमान हनी मुठिका, गिरि गो गिरिराज ज्यों गाऊ को मारो ।—तुलसी ग्र॰, पृ॰ १९१ । दे॰ 'पँवाड़ा' ।