पंग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंग ^१ वि॰ [सं॰ पङ्गु]

१. लँगड़ा ।

२. स्तब्ध । बेकाम । उ॰— नख सिख रूप देखि हरि जू के होत नयन गति पंग ।— सूर (शब्द॰) ।

पंग ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक पेड़ जो आसाम की ओर सिलहट कछार आदि में होता हैं । विशेष—इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है और मकानों में लगती हे । इसका कोयला भी बहुत अच्छा होता है । लकड़ी से एक प्रकार का रंग भी निकलता है ।

पंग ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का नमक जो लिवरपूल से आता है ।

पंग पु ^४ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] जयचंद की एक उपाधि । दलपंगुर । जयचंद, कन्नौज का राजा । उ॰—भूल्यौ नृप इन रंग महि, पंग चढ़यो हम पुट्ठि । सुनि सुंदर बर बज्जने अई अपुब्ब कोइ दिट्ठ ।—पृ॰ रा॰, ६१ ।११४७ । यौ॰—पंगजा = पंग की पुत्री । संयोगिता ।