पंगो
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
पंगो ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पङ्क, हिं॰ पाँक] धान के खेत मे लगनेवाला एक कीड़ा ।
पंगो पु † ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] कीर्ति । यश । उ॰—पंगी गंग प्रवाह, निरमल तन कीधो नहीं । चित्त क्यूँ राखैं चाह तिके सरग पावण तणी ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ ३, पृ॰ ४६ ।
पंगो संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ पाँक] मिट्टी जो नदी अपने किनारे बरसात बीत जाने पर डालती है ।