पंचकवल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंचकवल संज्ञा पुं [सं॰ पञ्चकवल] पाँच ग्राम अन्न जो स्मृति के अनुसार खाने के पूर्व कुत्ते, पतित, कोढ़ी, रोगी, कौए आदि के लिये अलग निकाल दिया जाता है । यह कृत्य वलिवैश्व- देव का अंग माना जाता है । अग्राशन । अगरासन । उ॰— पंचकवल करि जेवत लागे । गारि गान करि अनि अनुरागे ।—तुलसी (शब्द॰) ।