पंचतिक्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंचतिक्त संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चतिक्त] आयुर्वेद में इन पाँच कड़ुई ओषधियों का समूह—गिलोय (गुरुच), कंटकारि (भट कटैया), सोंठ, कुट और चिरायता (चक्रदत्त) । विशष—पंचतिक्त का काढ़ा ज्वर में दिया जाता है । भावप्रकाश में पंचतिक्त ये हैं—नीम की जड़ की छाल, परवल की जड़, अड़ूसा, कंटकारि (कटैया) और गिलोय । यह पंचतिक्त ज्वर के अतिरिक्त विसर्प और कुष्ठ आदि रक्तदोष के रोगों पर भी चलता है ।