पंचमहाव्रत

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंचमहाव्रत संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चमहाव्रत] योगशास्त्र के अनुसार ये पाँच आचरण—अहिंसा, सूनृता, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह । विशेष—पतंजलि जी ने इन्हें 'यम' माना है । जैन यतियों के लिये इनका ग्रहण जैन शास्त्र में आवश्यक बतलाया गया है ।