पंचलक्षण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

पंचलक्षण संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चलक्षण] पुराण के पाँच चिह्न या लक्षण जो ये हैं, 'सर्गश्च' प्रतिसर्गश्च वँशो मन्वन्तराणि च । वंशानुचरितं चैव पुराणं पंचलक्षणम् । अर्थात्—सृष्टि की उत्पत्ति, प्रलय, दिवताओं की उत्पत्ति और परंपरा, मन्वंतर मनु के वंश का विस्तार ।