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पहुँचाना

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पहुँचाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ पहुँच का सकर्मक रूप]

१. किसी वस्तु या व्यक्ति को एक स्थान से ले जाकर दूसरे स्थान पर प्राप्त या प्रस्तुत करना । किसी उद्दिष्ट स्थान तक गमन कराना । उपस्थित कराना । ले जाना । जैसे,— उनका नौकर मेरी किताब पहुँचा गया ।

२. किसी के साथ जाना । किसी के साथ इसलिये जाना जिसमें वह अकेला न पडे । शिष्टाचार के लिये भी ऐसा किया जाता है । उ॰— जरा आप ही चलकर मुझे वहाँ पहुँचा आइए । संयो॰ क्रि॰— देना ।

३. किसी को स्थिति विशेष में प्राप्त कराना । किसी को विशेष अवस्था तक ले जाना । जैसे,— (क) उन्हें इस उच्च पद तक पहुँचानेवाले आप ही हैं । (ख) उन्होंने चिकित्सा न करके अपने भाई को इस दुरवस्था को पहुँचा दिया । संयो॰ क्रि॰— देना ।

४. प्रविष्ट कराना । घुसाना । बैठाना । जैसे, — आँखों में तरी पहुँचाना, बरतन की पेंदी में गरमी पहुँचाना ।

५. कोई चीज लाकर या ले जाकर किसी को प्राप्त कराना । जैसे,— संध्या तक यह खबरह उन्हें पहुँचा देना ।

६. परिणाम के रुप में प्राप्त कराना । अनुभव कराना । जैसे,— (क) उन्होंने अपने उपदेशों में मुझे बडा लाभ पहुँचाया । (ख) आपकी लापर- वाही ने उन्हें बहुत हानि पहुँचाई ।

७. किसी विषय में किसी के बराबर कर देना । समकक्ष कर देना । समान बना देना । संयो॰ क्रि॰ — देना ।