प्रतीत्यसमुत्पाद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

प्रतीत्यसमुत्पाद संज्ञा पुं॰ [सं॰] बौद्धों के अनुसार अविद्या, संस्कार, विज्ञान, अमरूप, षडायतन, स्पर्श, वेदना, तृष्णा, उपादान, भय, जाति और दुःख ये बारहों पदार्थ जो उत्तरोत्तर संबद्ध हैं । विशेष— अविद्या से संस्कार, संस्कार से विज्ञान, विज्ञान से नामरूप क्रमशः उत्पन्न होते हैं । यही परंपरा जन्ममरण और दुःख का कारण है । इससे यह 'द्वादश निदान' के नाम से प्रसिद्ध है । इन सबका बोध महात्मा बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त करने के समय किया था । इन सब निदानों की व्याख्या आदि के संबंध में महायान और हीनयान मतवालों में बहुत मतभेद हैं ।