फँसाऊ वि॰ [हि॰ फँसाना + आऊ (प्रत्य॰)] फँसानवाला । उ॰— आँख उठाकर भी फँसाऊ और बतोलिये उपदेशक की ओर नहीं ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ २७५ ।