फणिचक्र

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फणिचक्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] फलित ज्योतिष के अनुसार नाड़ीचक्र का नाम । विशेष—यह एक सर्पाकर चक्र होता है जिसमें भिन्न भिन्न स्थानों पर नक्षत्रों के नाम लिखे रहते हैं । इस चक्र से विवाह के समय वर और कन्या की नाड़ी का मिलान किया जाता है; पर यदि वर और कन्या दोनों एक ही राशि के हों तो इस चक्र का मिलान नहीं होता ।