फतह
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
फतह संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ फंतह]
१. विजय । जीत । उ॰—(क) दास तुलसी गई फतह कर अगम को । सुरत सज मिली जहाँ प्रीतम प्यारा ।—तुलसी॰ श॰, पृ॰ २१ । (ख) कभी उस बेईमान के सामने लड़कर फतह नहीं मिलनी है ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ५२१ ।
२. सफलता । कृतकार्यता । क्रि॰ प्र॰—करना ।—पाना ।—मिलना ।—होना । यौ॰—फतहनामा = वह कविता या लेख जो किसी के विजयो- पलक्ष्य में लिखा जाय । फतहमंद । फतहयाब = विजेता । जिसने विजय पाई हो । फतहयाबी = विजयप्राप्ति । जीत होना ।