फूटना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

फूटना क्रि॰ अ॰ [सं॰ स्फुटन, प्रा॰ फुडन; या सं॰ स्फुट>हिं॰ फट + ना (प्रत्य॰)]

१. खरी या करारी वस्तुओं का दबाव या आघात पाकर टूटना । खरी वस्तुओं का खंड खंड होना । भग्न होना । करकना । दरकना । जैसे, घड़ा फूटना, चिमनी फूटना, रेवड़ी फूटना, बताशा फू़टना, पत्थर फूटना । संयो॰ क्रि॰—जाना । मुहा॰—उँगलियाँ फूटना = खींचने या मोड़ने से उँगलियोँ के जोड़ का खट् खट् बोलना । उँगलियाँ चठकाना । विशेष—इस क्रिया का प्रयोग खरी या करारी वस्तुओं के लिये होता है । चमड़े, लकड़ी आदि चीमड़ वस्तुओं के लिये नहीं होता ।

२. ऐसी वस्तुओं का फटना जिनके ऊपर छिलका या आवरण हो अथवा मुलायम या पतली चीज भरी हो । जैसे, कटहल फूटना, सिर फूटना, फोड़ा फूटना ।

३. नष्ट होना । बिग- ड़ना । जैसे, आँख फू़टना, भाग्य फूटना ।

४. भेदकर निकलना । भीतर से झोंक के साथ बाहर आना । जैसे सोता फूठना, धार फूटना ।

५. शरीर पर दाने या धाव के रूप में प्रकट होना । फोड़े आदि की तरह निकलना जैसे, दाने फूटान, कोढ़ फूटना, गरमी फूटना ।

६. कली का खिलना । प्रस्फुटित होना ।

७. जुड़ी हुई वस्तु के रूप में निकलना । अवयव, जो़ड़ यां वृद्धि के रुप में प्रकट होना । अंकुर, शाखा आदि का निकलना । जैसे, कल्ला फूटना, शाखा फूटना । उ॰॰—बिरवा एक सकल संसारा । पेड़ एक फूटी बहु डारा ।—कबीर (शब्द॰) ।

८. अंकुरित होना । फटकर अँखुबा निकलना । जैसे, बीज फूटना ।

९. शाखा के रूप में अलग होकर किसी सीध में जाना । जैसे,—थो़ड़ी दूर पर सड़क से एक और रास्ता फूटा है ।

१०. बिखरना । फैलना । व्याप्त होना । उ॰—(क) दिसन दिसन सों किरनैं फटहिं । सब जग जानु फुलझरी छूटहिं ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) रेंड़ा रूख भया मलयागिरि चहुँ दिसि फूटी बास ।— कबीर (शब्द॰) ।

११. निकलकर पृथक् होना । संग या समूह से अलग होना । साथ छोड़ना । जैसे, गोल से फूटना ।

१२. पक्ष छोड़ना । दूसरे पक्ष में हो जाना । जैसे, गवाह फूटना ।

१३. अलग अलग होना । विलग होना । संयुक्त न रहना । मिलाप की दशा में न रहना । जैसे, जोड़ा फूटना, संग फूटना । उ॰—(क) जिनके पद केशव पानि हिए सुख मानि सबै दुख दूर किए । तिनको सँग फूटत ही फिट रे फटि कोटिक टूक भयो न हिए ।—केशव (शब्द॰) । (ख) तू जुग फूटै न मेरी भटू यह काहू कह्यो सखिया सखियान तें । कंज से पानि से पाँसे परे अंसुआ गिरे खजन सी अँखियान । तें ।—नृपशंभु (शब्द॰) ।

१४. शब्द का मुँह से निकलना । जैसे, मुँह से बात फूटना । मुहा॰—फूट फूटकर रोना = बिलख बिलखकर रोना । बहुत विलाप करना । फूट पड़ना = रो पड़ना ।

१५. बोलना । मुँह से शब्द निकलना । जैसे, कछु तो फूटी । (स्त्रि॰) ।

१३. व्यक्त होना । प्रकट होना । प्रकाशित होना । उ॰—अंग अंग छबि फूटि कढ़ति सब निरखत पुर नर नारी ।—सूर (शब्द॰) ।

१७. पानी का इतना खौल जाना कि उसमें छोटे छोटे बुलबुलों के समूह दिखाई देने लगें । पानी का खदखदाने लगाना ।

१८. किसी भेद का खूल जाना । जैसे—कहीं बात फूट गई तो बड़ी मुश्किल होगी । उ॰— संतन संग बैठि बैठि लोकलाज खोई । अब तो बात फूटि गई जानत सब कोई ।—मीरा (शब्द॰) ।

१९. रोक या परदे का दबाव के कारण हट जाना । बाँध, मेड़ आदि का टूट जाना । जैसे, बाँध फूटना ।

२०. पानी या और किसी पतली चीज का रसकर इस पार से उस पार निकल जाना । जैसे, यह कागज अच्छा नहीं है, इसपर स्याही फूटती है ।

२१. जोड़ों में दर्द होना ।