बैजन्ती

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

बैजंती संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वैजयन्ती]

१. फूल के एक पौधे का नाम । वैजयंती । उ॰—राजति उर बैजती माल । चलत जु मत्त द्विरद की चाल ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ २९३ । विशेष—इसके पत्ते हाथ हाथ भर तक के लंबे और चार पाँच अगुल चौडे़ धड़ या मूल काँड से लगे हुए होते हैं । इसमें टहनियाँ नहीं होतीं, केले की तरह कांड सीधा ऊपर की ओर जाता है । यह हलदी ओर कचूर जाति का पोधा है । कांड के सिर पर लाल या पीले फूल लगते हैं । फूल लबे और कई दलों के होते हैं और गुच्छों में लगते हैं । फूलों की जड में एक एक छोटी घुंडी होती है जो फूल सूखने पर बढ़कर बोडी़ हो जाती है । यह बोंडी़ तिकोनी और लंबोतरी होती है जिसपर छोटी छोटी नोक या कँगूरे निकले रहते हैं । बोंडी़ के भीतर तीन कोठे होते हैं जिनमें काले काले दाने भरे हुए निकलते हैं । ये दाने कडे़ होते हैं और लोग इन्हें छेदकर माला बनाकर पहनते हैं । यह फूलों के कारण शोभा के लिये बगीचे में लगाया जाता है । संस्कृत में इसे वैजयंती कहते हैं ।

२. विष्णु की माला ।