भारा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]भारा † ^१ वि॰ [सं॰ भार] दे॰ 'भारी' । उ॰—(क) रहे तहाँ निसिचर भट भारे । ते सब सुरन्ह समेत सँहारे ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) जे पद पद्म सदाशिव के धन सिंधु सुता उतरे नहिं टारे । जे पद पद्म परसि अति पावन सुरसरि दरस कटत अघ भारे ।—सूर (शब्द॰) ।
भारा ^२ संज्ञा पुं॰
१. दे॰ 'भाड़ा' ।
२. दे॰ 'भार' ।
भारा संज्ञा पुं॰ [सं॰] सिंह ।