भीम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

भीम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. भयानक रस ।

१. शिव ।

३. विष्णु ।

४. अम्लेबेत ।

५. महादेव की आठ मूर्तियों के अंतर्गत एक मूर्ति ।

६. एक गंधर्व का नाम ।

७. पाँची पांडवों में से एक जो वायु के संयोग से कुंती के गर्भ से उत्पन्न हुए थें । (जन्मकथा के लिये दे॰ 'पांडु') । विशेष—ये युधिष्ठिर से छोटे और अर्जुन से बड़े थे । ये बहुत बड़े वीर ओर बलवान् ये । कहते हैं, जन्म के समय जब ये माता की गोद से गिरे थे, तब पत्तऱ टूटकर टुकड़े टुकड़े हो गया था । इनका और दुर्योधन का जन्म एक ही दिन हुआ था । इन्हें बहुत बलवान् देखकर दुर्योधन ने ईर्ष्या के कारण एक बार इन्हें विष खिला दिया था और इनके बेहोश हो जाने पर लताओं आदि से बाँधकर इन्हें जल में फेंक दिया था । जल में नागों के डसने के कारण इनका पहला विष उतर गया और नागराज ने इन्हें अमृत पिलाकर और इनमें दस हजार हाथियों का बल उत्पन्न कराके घर भेज दिया था । घर पहुँचकर इन्होंने दुर्योधन की दुष्टता का हाल सबसे कहा । पर युधिष्ठिर ने इन्हें मना कर दिया कि यह वात किसी से सत कहना; और अपने प्राणों की रक्षा के लिये सदा वहुत सचेत रहना । इसके उपरांत फिर कई बार कर्ण और शंकुनि की सहायता से दुर्योधन ने इनकी हत्या करने का विचार किया पर उसे सफलता न हुई । गदायुद्ध में भीम पारगत थे । जब दुर्योधन ने जतुगृह में पांडवों को जलाना चाहा था, तव भीम ही पहले से समाचार पाकर माता और भाइयों को साथ लेकर वहाँ से हट गए थे । जंगल में जाने पर हिंडिंब की वहन हिडिंबा इनपर आसक्त हो गई थी । उस समय इन्होंने हिडंब को युद्ध में मार डाला था और भाई तथा माता की आज्ञा से हिड़िबा से विवाह कर लिया था । इसके गर्भ से इन्हें घटोत्कच नाम का एक पुञ भी हुआ था । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय ये पूर्व और वंग देश तक दिग्विजय के लिये गए थे और अनेक देशों तथा राजाओं पर विजयी हुए थे । जिस समय दुर्योधन ने जूए में द्रौपदी को जीतकर भरी सभा में उसका अपमान किया था, और उसे अपनी जाँघ पर बैठाना चाहा था; उस समय इन्होंने प्रतिज्ञा की थी की मैं दुर्योधन की यह जाँघ तोड़ डालूँगा और दुःशासन से लड़कर उसका रक्तपान करूँगा । वनवास में इन्होने अनेक जंगली राक्षसों और असुरों को मारा था । अज्ञातवास के समय ये वल्लभ नाम से सूपकार वनकर विराट के घर में रहे थे । जब कीचक ने द्रौपदी से छेड़छाड़ की थी, तब उसे भी उन्होंने मारा था । महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में इन्होंने अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया था । दुर्योधन के सब भाइयों को मारकर दुर्योधन की जाँघ तोड़ी थी और दुशासन की भुजा तोड़कर उसका रक्त पीया था । महाप्रस्थान के समय भी ये युधिष्ठिर के साथ थे और सहदेव, नकुल तथा अर्जुन तीनों के मर जाने के उपरांत इनकी मृत्यु हुई थी । भीमसेन, वृकोदर आदि इनके नाम हैं । मुहा॰—भीम के हाथी = भीमसेन के फेंकें हुए हाथी । विशेष—कहा जाता है, एक बार भीमसेन ने सात हाथी आकाश में फेंक दिए थे जो आज तक वायुमंडल में ही घूमत े हैं, लौटकर पृथ्वी पर नहीं आए । इसका व्यवहार ऐसे पदार्थ या व्यक्ति के लिये होता है जो एक बार जाकर फिर न लौटे । उ॰—अब निज नैन अनाथ भए । मधुबन हू ते माधव सजनी कहियत दूरि गए । मथुरा बसत हुती जिय आशा यह लागत व्यवहार । अव मन भयौ भीम के हाथी सुपने अगम अपार ।—सूर (शब्द॰) ।

८. विदर्भ के एक राजा जिन्हें दमन नामक ऋषि के वर से दम, दांत और दमन नामक तीन पुत्र तथा दमयंती नाम की कन्या हुई थी ।

९. महर्षि विश्वामित्र के पूर्वपुरुष जो पुरुरवा के पौत्र थे ।

१०. कुभकर्ण के पुत्र का नाम जो रावण की सेना का एक सेनापति था ।

भीम ^२ वि॰

१. भीषण । भयानक । भयंकर ।

२. बहुत बड़ा ।