मँडराना
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
मँडराना क्रि॰ अ॰ [सं॰ मण्डल]
१. मंडल बाँधकर उड़ना । किसी वस्तु के चारो ओर घूमते हुए उड़ना । चक्कर देते हुए उड़ना । जैसे चील का मँडराना । उ॰—हंस को मैं अंश राख्यो काग कित मँडराय ?—सूर (शब्द॰) ।
२. किसी के चारो ओर घूमना । परिक्रमण करना । उ॰—मडप ही में फिरै मँडरात है न जात कहूँ तजि को ओने ।—पद्माकर (शब्द॰) ।
३. किसी के आस पास ही घूम फिरकर रहना । उ॰—देखहु जाय और काहू को हरि पै सबै रहति मँडरानी ।—सूर (शब्द॰) ।