मायका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

मायका संज्ञा पुं॰ [सं॰ मातृ+का (प्रत्य॰)] नैहर । पीहर । उ॰— (क) पठई समुझाय सहेलिन यों कोऊ मायके में मिलतीं न कहा ।— दूलह (शब्द॰) । (ख) सो जा सखी भरमै मति री यह खाजा हमारे ही मायक वारी ।— दूलह (शब्द॰) । (ग) मायके में मन भावन की रति कीरति शंभु गिरा हू न गावति ।—शंभु (शब्द॰) ।