योजन
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
योजन संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. परमात्मा ।
२. योग ।
३. एक में मिलाने की क्रिया या भाव । संयोग । मिलान । मेल । योग ।
४. दूरी की एक नाप जो किसी के मत से दी कोस की, किसी के मत से चार कोस की और किसी के मत से आठ कोस की होती है । (यहा एक कोस से अभिप्राय ४,॰॰० हाथ से है । जेनियाँ के अनुसार एक याजन १०,॰॰० कोस का होता है ।