रँगा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रँगा सियार संज्ञा पुं॰ [हिं॰] ढोंगी व्यक्ति । छदमवेश में रहनेवाला आदमी । विशेष—इस शब्द के पीछे एक कहानी है । घूमते घामते कोई सियार रात को बस्ती में आ निकला । वहाँ वह धोखे से नील की नाँद में गिर पड़ा । सर्वाग उसका नीला हो गया । सियार बहुत चालाक था । उसने अपने बदले हुए रंग का फायदा उठाया । जंगल में जाकर उसने अपने को देवताओं द्वारा नियुक्त सब जानवरों का राजा घोषित कर दिया । कुछ दिनों बाद भेद खुलने पर उसकी बड़ी दुर्गति हुई ।