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रंगार

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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रंगार संज्ञा पुं॰ [देश॰]

१. वैश्यों का एक जाति का नाम ।

२. राजपूतों की एक जाति । इस जाति के लोग मेवाड़ और मालेव में रहते हैं ।

३. मध्य तथा दक्षिण भारत में रहनेवाली एक जाति । इस जाति के लोग अपने आपको ब्राह्मणों के अंतर्गत बतलाते और खेतीवारी करते हैं ।