रंतिदेव

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रंतिदेव संज्ञा पुं॰ [सं॰ रन्तिदेव]

१. पुराणानुसार एक बड़े दानी राजा जिन्होंने बहुत अधिक यज्ञ किए थे । वेशेष— एक बार सव कुछ दे डालने पर इन्हें ४८ दिनों तक पीने को जल भी न मिला । उनचासवें दिन ये कुछ खाने पीने का आयोजन कर रहे थे कि क्रम से एक ब्राह्मण, एक शूद्र और कुत्ते के लिये हुए एक अतिथि आ पुहँचे । सब सामान उन्हीं के आतिथ्य में समाप्त हो गया, केवल जल बच रहा । उसे पीने के लिये ज्यों ही इन्होंने हाथ उठाया कि एक प्यासा चांडील आ गया और पीने के लिये जल माँगने लगा । राजा ने वह जल भी दे दिया । अंत में भगवान् ने प्रसन्न होकर इन्हें मोक्ष दिया ।

२. विष्णु ।

३. कुत्ता ।