रक्तगतज्वर संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह ज्वर जो रोगी के रक्त में समा गया हो । विशेष—इसमें रोगी खून थूकता है, अंड़ बड़ं बकता है, छटप- पटाता है और उसे बहुत अधिक दाह तथा तृष्णा होती है ।