रक्तपित्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रक्तपित्त संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक प्रकार का रोग जिसमें मुँह, नाक, गुदा, योगि आदि इंद्रियों से रक्त गिरता है । विशेष—यह रोग धूप में अधिक रहने, बहुत व्यायाम करने, तीक्ष्ण पदार्थ खाने और बहुत आधिक मैथुन करने के कारण होता है । यह रोग स्त्रियों के रजोधर्म ठीक न होने के कारण भी हो जाता । है । यह रोग पित्त के कुपित होने से होता है ।

२. नाक से लहू बहना । नकसीर ।