रसौत

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

रसौत संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ रसोदुभूत] एक प्रकार का प्रसिद्ध औषध विशेष— यह दारुहल्दी का जड़ और लकड़ी को पानी में औटाकर और उसमें से निकले हुए रस की गाढ़ा करके तैयार की जाती है । इसके लिये पहले दारूहल्दी का काढा तैयार करते है । तब उसमें उसके बराबर हो गौ या बकरी का दूध डालकर, दोनो को पकाकर बहुत गाढ़ा अवलेह तैयार करते है । अवलेह जमकर बाजारों में रसौत के नाम से बिकता है । रसौत कालापन लिए भूरे रंग होती है और पानी/?/ सहज घुल जाती है । इसका स्वाद कड़ुवा होता है और इसमे से एक विलक्षण गंध निकलती है, जो अफीम की/?/ से कुछ मिलती जुलती हाती है । इसका व्यवहार प्रायः ओ/?/ पर लगाने औक घावों का विकार दूर करने में हता है । वैद्यक में यह चरपरी, गरम, रसायन, कड़वी, शीतल, तीक्ष्य शुक्रजनक, नेत्रो के लिये अत्यंत हितकारी तथा कफ, वि/?/ रक्तपित्त, वमन, हिचका, श्वास ओर मुवरोग का दूर करनेवाली मानी गई । पर्या॰—रसगर्भ । तीर्क्ष्यशील । रसोदुभूत । रसाग्रज । कृतक/?/ बालभैपज्य रसराज । अग्निसार । रसनाभि ।