रस्सा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]रस्सा संज्ञा पुं॰ [सं॰ रश्मि प्रा॰ रस्मी हिं॰ रस्म से पुं॰ रूप रस्सा] [स्त्री॰ अल्पा॰, रस्सी]
१. बहुत मोटी रस्सी जो कई मोटे तागों को एक में बटकर बनाई जाती है । विशेष— आजकल प्रायः जहाजों आदि के लिये तया और बड़े बड़े कामों के लिये लोहे के तारों के भी रस्से बनने लगे है ।
२. जमीन की एक नाप जो ७५ हाथ लंबी और ७५ हाथ चौड़ी होती है । इसी को बोधा कहते है ।
३. घोड़ों के पैर को एक बीमारी ।