राधा

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राधा

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

राधा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. वैशाख की पूर्णिमा ।

२. प्रीति । अनुराग । प्रेम ।

३. धृतराष्ट्र के सारथी अधिरथ की पत्नी का नाम । विशेष—इसने कर्ण पुत्रवत् पाला था । इसी कारण से कर्ण का एक नाम 'राधेय' भी था ।

४. वृषभानु गोप की कन्या और श्रीकृष्ण की प्रेयसी । विशेष—श्रीमद् भागवत में राधा का कोई उल्लेख नहीं है । पर ब्रह्मवैवर्त देवीभागवत, आदि में राधा का वर्णन मिलता है । इन पुराणों में राधा के जन्म और जीवन के संबंध में भिन्न भिन्न कथाएँ दी गई हैं । कहीं लिखा है कि ये श्रीकृष्ण के बाएँ अंग से उत्पन्न हुई थी और कहीं गोलोकधाम के रासमंडल में इनका जन्म लिखा है । यह भी कहा जाता है कि ये जन्म लेते ही पूर्ण वयस्का हो गई थीं । श्रीकृष्ण के साथ इनका विवाह नहीं हुआ था यद्यपि गर्गसंहिता आदि कुछ इधर के ग्रंथों में विवाह की कथा भी रख दी गई है । सब जगह श्रीकृष्ण के साथ इनकी मूर्ति और नाम रहता है । इनके नाम के साथ ईश या स्वमीवाचक शब्द लगने से श्रीकृष्ण का बोध होता है ।

५. एक वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में रगण, तगण, मगण, यगण और एक गुरु सब मिलकर १३ अक्षर होते हैं । जैसे,— कृष्ण राधा कृष्ण कृष्ण राधा राधा गा ।

६. विशाखा नक्षत्र ।

७. बिजली ।

८. आँवला ।

९. विष्णुक्रांता लता ।