लकवा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लकवा संज्ञा पुं॰ [अ॰ लक़वह्] एक वातरोग जिसमें प्रायः चेहरा टेढ़ा हो जाता है । विशेष—यह रोग चेहरे के अचिरिक्त और अंगों में भी होता है, और जिस अंग में होता है, उसे विलकुल बेकाम कर देता है । इसमें शरीर के ज्ञानततुओं में एक प्रकार का विकार आ जाता है, जिससे कोई कोई अंग हिलने डोलने या अपना ठीक ठीक काम करने के योग्य नहीं रह जाता । इसे फालिज भी कहते हैं । पक्षाघात । क्रि॰ प्र॰—गिरना । मुहा॰—लकवा मारना या मार जाना = शरीर के किसी अंग में लकवे का रोग हो जाना ।