लड़

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

लड़ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यष्टि, प्रा॰ लटि्ठ, हिं॰ लड़ी]

१. सीध में गुछी हुई या एक दूसरी से लगी हुई एक ही प्रकार की वस्तुओं की पंक्ति । माला । जैसे मोतियों की लड़ ।

२. रस्सी का एक तार (जैसे, कई एक साथ मिलाकर नटे जार्यं) । पाम । पान ।

३. पक्ति । पाँत । कतार । सिलसिला । श्रेणी । मुहा॰—(किसी के साथ) लड़ मिलाना=मेल करना । मित्रता करना । (किसी की) लड़ में रहना=दल या पक्ष में रहना । अनुयायियों में रहना ।

४. पंक्ति में लगे हुए फूलों या मंजरियों का छड़ी के आकार का गुच्छा ।