लोलक
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
लोलक संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. लटकन जो बालियों में पहला जाता है । यह मछली के आकार का या किसी औऱ आकार का होता है । स्त्रियों इसे नया या वाली में पिरोकर पहनती है । उ॰— करनफूल खुटिला अरु खुभिय । लोलक सोत सींक हुँ चुँभिय ।— सूदन (शब्द॰) ।
२. कान की लव । लोलकी ।
३. करघेमें मिट्टी का एक लट्टु जो राछ में इसलिये लगाया जाता है कि उसकी ऊपर या नीचे करके राछ उठा या दवा सकें ।
४. घंटी या घंटे के बीच में लगा हुआ लटकने जो हिलाने से इधर उधर टकराकर घंटी में लगकर शब्द उत्पन्न करता है ।