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विक्षनरी:हिंदी–हिंदी शब्दकोश/प

विक्षनरी से
शब्दव्याकरण-१व्या-२व्या-३व्या-४व्या-५अर्थ-१अर्थ-२अर्थ-३अर्थ-४अर्थ-५
पंकजविशेषण, पुंलिंग----कीचड़ से उत्पन्न, कमल।----
पंक्तिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कतार;छपे हुए अक्षरों की एक सीध में पढ़ने के क्रम से लगी हुई श्रृंखला (लाइन)।---
पंखपुंलिंग----पक्षियों तथा कुछ जंतुओं का वह अंग जिससे वे उड़ते है, पर।----
पंखापुंलिंग----ताड़ अथवा धातु आदि का वह उपकरण जिससे हवा का वेग बढ़ाया जाता हो (फ़ैन)।----
पंचागपुंलिंग----वह पंजी या पुस्तिका जिसमें प्रत्येक मास या वर्ष के तिथियों, वारों, नक्षत्रों, योगों और कारणों का समुचित निरूपण या विवेचन होता हो, जंत्री, पत्रा।----
पंचायतस्त्रीलिंग----गांव या बिरादरी के चुने हुए सदस्यों की सभा जो लोगों के झगड़ों का विचार और निर्णय करती है।----
पंछीपुंलिंग----पक्षी, परिंदा।----
पंडितविशेषणपुंलिंग---कुशल, निपुण।शास्त्रों आदि का ज्ञाता; ब्राह्मण।---
पंथपुंलिंगपुंलिंग---मार्ग, रास्ता;धार्मिक मत या संप्रदाय।---
पकड़नासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---थामना;बंदी बनाना।---
पकानासकारात्मक क्रिया----अन्न, फल आदि को इस प्रकार आंच, गर्मी आदि देना कि वे मुलायम होकर खाने योग्य हो जाएं (टू कुक)।----
पक्काविशेषणविशेषण---दृढ़, निश्चित, स्थिर;अच्छी तरह से पका या पकाया हुआ।---
पक्षपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--पक्षियों का डैना और उस पर के पंख;किसी विचार, सिद्धान्त या तथ्य आदि का एक पहलू;चन्द्रमास के दो बराबर भागों में से प्रत्येक भाग जो प्राय: 15 दिन का होता है, पखवाड़ा।--
पक्षपातपुंलिंग----न्याय के समय अनुचित रूप से किसी पक्ष के प्रति होने वाली अनुकूल प्रवृत्ति।----
पक्षीपुंलिंग----परों वाला, पंछी, परिंदा।----
पखवाड़ापुंलिंग----पंद्रह दिनों का समय, पक्ष।----
पगडंडीस्त्रीलिंग----आने-जाने के कारण जंगल, खेत या मैदान में बना हुआ पतला या संकीर्ण मार्ग।----
पचानासकारात्मक क्रिया----खाई हुई वस्तु को पक्वाशय की अग्नि से रस में परिणत करना (टू डाइजेस्ट)।----
पछतानाअकारात्मक क्रिया----पश्चाताप करना।----
पछाड़नासकारात्मक क्रिया----कुश्ती अथवा प्रतियोगिता आदि में किसी को परास्त करना।----
पटकनासकारात्मक क्रिया----किसी व्यक्ति या वस्तु आदि को उठाकर झोंके के साथ पृथ्वी आदि पर गिराना।----
पटरी (पटड़ी)स्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--सड़क के दोनों ओर का उठा हुआ पैदल-पथ;लोहे के लंबे छड़ जिन पर रेल-गाड़ी चलती है;काठ का छोटा पतला और लंबोतरा टुकड़ा, छोटा पटरा।--
पटसनपुंलिंगपुंलिंग---सन या सनई नामक प्रसिद्ध पौधा जिसके डंठलों के रेशों से रस्सी, बोरे, गलीचे आदि बनाए जाते हैं;उक्त के रेशे, जूट।---
पटाखा (पटाका)पुंलिंग----एक प्रकार की आतिशबाजी जिससे जोर से पट या पटाक का शब्द होता है (क्रैकर)।----
पड़नाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---गिरना, रखे रहना;लेटना, बीमार होना।---
पड़ावपुंलिंग----मार्ग में पड़ने वाला वह स्थान जहां सेना, काफिले, यात्री आदि कुछ समय के लिए विश्राम आदि करने को ठहरते हैं।----
पतंगस्त्रीलिंगपुंलिंग---बांस की कमानियां के ढांचे पर कागज़ मड़कर बनाई हुई वस्तु जिसे तागे से बांधकर हवा में उड़ाते हैं (काइट)।पतंगा, शलभ।---
पतनपुंलिंगपुंलिंग---अधोगति, गिरावट;स्तुत्य आचरण को छोड़कर हीन आचरण में प्रवृत्त होना।---
पतलाविशेषणविशेषणविशेषण--जो गाढ़ा न हो, जिसमें तरल अंश अधिक हो;कृश, दुबला;संकरा, बारीक।--
पतापुंलिंगपुंलिंग---किसी वस्तु, स्थान या व्यक्ति के ठिकाने का ऐसा परिचय जो उसे पाने, ढूंढने या उनके पास तक समाचार पहुँचाने में सहायक हो;किसी अज्ञात व्यक्ति, विषय आदि के संबंध में ऐसी जानकारी जिसे प्राप्त करना अभीष्ट या आवश्यक हो।---
पताकास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---झंडा, ध्वजा;साहित्य में (नाटक में) अधिकारिक कथा की सहायतार्थ दूर तक चलने वाली प्रासंगिक कथा।---
पत्तनपुंलिंग----वायुयानों अथवा जलयानों के ठहरने का स्थान।----
पत्तापुंलिंगपुंलिंग---पेड़-पौधों की शाखाओं में लगने वाले प्राय: हरे रंग के चिपटे लचीले अवयव (लीफ़);ताश (प्लेइंग कार्ड)।---
पत्थरपुंलिंग----धातु से भिन्न कड़ा ठोस और भारी भूद्रव्य जो प्राय: खानों और पर्वतों को काटकर निकाला जाता है।----
पत्रकारपुंलिंग----वह व्यक्ति जो समाचार पत्रों को नित्य नए समाचारों की सूचना देता, उन पर टीका-टिप्पणी करता अथवा उनको संपादित करता हो (जर्नलिस्ट)।----
पत्राचारपुंलिंग----परस्पर एक दूसरे को पत्र लिखना, पत्र-व्यवहार।----
पथपुंलिंगपुंलिंग---मार्ग, रास्ता, राह;कार्य या व्यवहार की पद्धति।---
पथ-प्रदर्शकपुंलिंग----किसी कार्य या व्यवहार की पद्धति बताने वाला, मार्गदर्शक।----
पथ-भ्रष्टविशेषणविशेषण---जो मार्ग से भटक गया हो;न्याय मार्ग अथवा आचरण से विमुख।---
पथिकपुंलिंग----बटोही, राही।----
पथ्यविशेषणपुंलिंग---गुणकारी, लाभदायक।वह हल्का भोजन जो अस्वस्थ या रोगी व्यक्ति को दिया जाए।---
पदपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग-कदम, पांव, पैर;वाक्य का अंश या खंड।ओहदा, उपाधि;छंद, श्लोक आदि का चतुर्थांश।-
पदचापस्त्रीलिंग----चलते समय पैरों से होने वाली ध्वनि।----
पद-चिह्नपुंलिंगपुंलिंग---पैरों की छाप;दूसरों विशेषत: बड़ों द्वारा बतलाए हुए आदर्श अथवा कार्य करने का ढंग।---
पद्धतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कार्य करने का तरीका, कार्य-प्रणाली;रीति, पथ, मार्ग।---
पनघटपुंलिंग----वह घाट या स्थान जहां से लोग घड़े आदि में पानी भरकर लाते हैं।----
पनडुब्बीस्त्रीलिंग----पानी के अंदर डूबकर चलने वाली नाव (सबमरीन)।----
परंतुअव्यय----इतना होने पर भी, लेकिन, पर।----
परंपरास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सिलसिला, क्रम;रीति-रिवाज, प्रथा।---
परखनासकारात्मक क्रिया----अच्छे बुरे की पहचान करना।----
परदापुंलिंगपुंलिंग---आड़ या बचाव करने के लिए बीच में टांगा या लटकाया जाने वाला कपड़ा आदि;घूंघट।---
परदेसीविशेषण----वह व्यक्ति जो अपना देश छोड़कर किसी दूसरे देश में आया हो, परदेसी।----
परमविशेषणविशेषण---मुख्य, प्रधान;अत्यधिक।---
परमाणुपुंलिंग----किसी तत्व का अविभाज्य टुकड़ा।----
परमात्मापुंलिंग----ईश्वर, परब्रह्म।----
परमार्थपुंलिंगपुंलिंग---मोक्ष;परोपकार।---
परलोकपुंलिंग----इस लोक से भिन्न दूसरा लोक।----
परसोंअव्ययअव्यय---बीते हुए दिन से ठीक पहले वाला दिन;आगामी कल के बाद वाला दिन।---
परस्परक्रिया विशेषण----आपस में।----
पराकाष्ठास्त्रीलिंग----चरम सीमा, हद।----
पराक्रमपुंलिंग----शौर्य, सामर्थ्य, बल।----
परागपुंलिंग----फूल के लंबे केसरों पर जमी रहने वाली धूल।----
पराजयस्त्रीलिंग----हार, विजय का उल्टा।----
पराधीनतास्त्रीलिंग----दूसरे के अधीन अर्थात् पराधीन होने की अवस्था या भाव।----
परामर्शपुंलिंगपुंलिंग---सलाह, सम्मति;विवेचन, विचार।---
परायाविशेषण, पुंलिंग----जिसका संबंध दूसरे से हो, अपने से भिन्न, आत्मीय या स्वजन से भिन्न।----
परिक्रमास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---चारों ओर चक्कर लगाना या घूमना;किसी तीर्थ, देवता या मंदिर के चारों ओर भक्ति और श्रद्धा से तथा पुण्य की भावना से चक्कर लगाने की क्रिया।---
परिचयपुंलिंगपुंलिंग---ऐसी स्थिति जिसमें दो व्यक्ति एक दूसरे को प्राय: प्रत्यक्ष भेंट के आधार पर जानते और पहचानते हों, जान-पहचान;किसी व्यक्ति के नाम-धाम या गुण-कर्म आदि से संबंध रखने वाली सब या कुछ बातें जो किसी को बतलाई जाएं।---
परिचर्यास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी के द्वारा की जाने वाली अनेक प्रकार की सेवाएं;रोगी की सेवा सुश्रूषा।---
परिचारिकास्त्रीलिंग----सेवा करने वाली स्त्री, सेविका (नर्स)।----
परिच्छेदपुंलिंग----अध्याय, प्रकरण।----
परिजनपुंलिंगपुंलिंग---चारों ओर के लोग विशेषत: परिवार के सदस्य;अनुगामी और अनुचर वर्ग।---
परिणामपुंलिंगपुंलिंग---किसी काम या बात का तर्क संगत रूप में अंत होने पर उससे प्राप्त होने वाला फल (रिज़ल्ट);किसी कार्य के उपरांत क्रियात्मक रूप से पड़ने वाला उसका प्रभाव (कांसीक्वेन्स)।---
परित्यागपुंलिंग----अधिकार, स्वामित्व, संबंध, अधिकृत वस्तु, निजी संपत्ति, संबंधी आदि का पूर्ण रूप से तथा सदा के लिए किया जाने वाला त्याग, पूरी तरह से छोड़ देना।----
परिधिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--वृत की रेखा;किसी गोलाकार वस्तु के चारों ओर खिंची हुई वृत्ताकार रेखा;वह गोलाकार मार्ग जिस पर कोई चीज चलती, घूमती या चक्कर लगाती हो।--
परिपक्वविशेषणविशेषण---जो अभिवृद्धि, विकास आदि की दृष्टि से पूर्णता तक पहुँच चुका हो;अच्छी तरह से पका हुआ।---
परिभाषास्त्रीलिंग----ऐसा कथन या वाक्य जो किसी पद या शब्द का अर्थ या आशय स्पष्ट रूप से बतलाता या व्यक्त करता हो (डेफिनिशन)।----
परिमाणपुंलिंगपुंलिंग---गिनने, तोलने, मापने आदि पर प्राप्त होने वाला फल;नाप-जोख, तोल आदि की दृष्टि से किसी वस्तु की लंबाई-चौड़ाई, भार, घनत्व विस्तार आदि, मान (क्वान्टिटी)।---
परिमार्जनपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--साफ करने के लिए अच्छी तरह धोना;अच्छी तरह साफ करना;भूलें आदि सुधारना।--
परिवर्धनपुंलिंगपुंलिंग---आकार-प्रकार, विषय-वस्तु आदि में की जाने वाली वृद्धि;इस प्रकार बढ़ाया हुआ अंश।---
परिवहनपुंलिंग----माल, यात्रियों आदि को एक स्थान से ढोकर दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य (ट्रान्सपोर्ट)।----
परिवारपुंलिंगपुंलिंग---एक घर में और विशेषत: एक कर्त्ता के अधीन या संरक्षण में रहने वाले लोग (फैमिली);किसी विशिष्ट गुण, संबंध आदि के विचार से चीजों का बनने वाला वर्ग।---
परिवार नियोजनपुंलिंग----बढ़ती हुई जन-संख्या को नियंत्रित करने या सीमित रखने के उद्देश्य से गार्हस्थ्य जीवन के संबंध में की जाने वाली वह योजना जिससे लोग आवश्यकता अथवा औचित्य से अधिक संतान उत्पन्न न करें (फ़ैमिली प्लानिंग)।----
परिवेशपुंलिंग----वेष्टन, परिधि, घेरा;----
परिशिष्टविशेषणपुंलिंग---छूटा या बाकी बचा हुआ, अवशिष्ट।पुस्तकों आदि के अंत में दी जाने वाली वे बातें जो मूल में आने से रह गईं हों, अथवा जो मूल में आई हुई बातों के स्पष्टीकरण के लिए हों।---
परिश्रमपुंलिंग----मानसिक या शारीरिक श्रम, मेहनत।----
परिषद्स्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---निर्वाचित या मनोनीत विधायकों की वह सभा जो स्थायी या बहुत-कुछ स्थायी होती है (कौंसिल) ;सभा।---
परिष्कारपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--अच्छी तरह ठीक और साफ करने की क्रिया या भाव ;त्रुटियां दोष आदि दूर करके सुंदर, सुरुचिपूर्ण और स्वच्छ बनाना ;निर्मलता, स्वच्छता।--
परिस्थितिस्त्रीलिंग----चारो ओर की स्थिति, हालत (सर्कमस्टांसिस)।----
परीक्षणपुंलिंगपुंलिंग---परीक्षा करने या लेने की क्रिया;जांच, परख।---
परीक्षास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी के गुण, धैर्य, योग्यता सामर्थ्य आदि की ठीक-ठाक स्थिति जानने या पता लगाने की क्रिया या भाव ;जांच-पड़ताल या देखभाल।---
परोक्षविशेषणविशेषणविशेषणपुंलिंगपुंलिंगआंखो से ओझल ;जो सामने न हो, अनुपस्थित ;छिपा हुआ, गुप्त।आंखों के सामने न होने की अवस्था या भाव, अनुपस्थिति;व्याकरण में पूर्ण भूतकाल।
परोपकारपुंलिंग----दूसरों की भलाई, दूसरों के हित का काम।----
पर्यटकपुंलिंग----देश-विदेश में घूमने-फिरने वाला।----
पर्यटनपुंलिंग----अनेक महत्त्वपूर्ण स्थल देखने तथा मन-बहलाव के लिए अधिक विस्तृत भूभाग में किया जाने वाला भ्रमण।----
पर्याप्तविशेषण----जितना आवश्यक हो उतना सब, यथेष्ट, काफी।----
पर्यायपुंलिंग----सामानार्थक शब्द।----
पर्वपुंलिंगपुंलिंग---ग्रंथ आदि का अंश, खंड, भाग ;उत्सब और त्यौहार।---
पर्वतारोहणपुंलिंग----पहाड़ पर चढ़ने की क्रिया या पहाड़ पर चढ़ना।----
पलायनपुंलिंग----निकल भागने या बच निकलने की क्रिया या भाव।----
पवनपुंलिंग----वायु हवा।----
पवित्रविशेषणविशेषणविशेषण--(पदार्थ) जो धार्मिक उपचारों से इस प्रकार शुद्ध किया गया हो अथवा स्वत: अपने गुणों के कारण इतना अधिक शुद्ध माना जाता हो कि पूजा-पाठ, यज्ञ होम आदि में काम में लाया या बरता जा सके;निश्छल, धार्मिक, सद्वृत्तिवाला और पूज्य व्यक्ति;साफ, स्वच्छ, निर्मल।--
पशुपुंलिंग----चार पैरों से चलने वाला दुमदार जंतु, जानवर।----
पश्चातापपुंलिंग----किसी कर्म के बाद उसके औचित्य का भान होने पर मन में होने वाला दु:ख, पछतावा।----
पसारनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---अधिक विस्तृत करना ;फैलाना।---
पसीनापुंलिंग----ताप, परिश्रम आदि के कारण शरीर या अंगो में से निकलने वाले जलकण, स्वेद।----
पहचान (पहिचान)स्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--पहचानने की क्रिया, भाव या शक्ति ;कोई ऐसा चिह्न या लक्षण जिससे पता चले कि वह अमुक व्यक्ति या वस्तु है ;परिचय।--
पहचाननासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी वस्तु या व्यक्ति को देखते ही उसके चित्रों, लक्षणों, रूप-रंग के आधार पर यह जान या समझ लेना कि यह अमुक व्यक्ति या वस्तु है जिसे मैं पहले से जानता हूँ ;किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण-दोषों, योग्यताओं आदि से भली-भांति परिचित होना।---
पहननासकारात्मक क्रिया----शरीर या अंग पर विशेषकर कपड़े, गहने आदि धारण करना।----
पहनावा (पहरावा)पुंलिंगपुंलिंग---पहनने के कपड़े, पोशाक ;किसी जाति, देश आदि के लोगों द्वारा सामान्यत: पहने जाने वाले कपड़े।---
पहरेदारपुंलिंग----वह जिसका काम कहीं खड़े-खड़े घूम-घूम कर चौकसी करना हो, चौकीदार, संतरी।----
पहलवानपुंलिंग----कुश्ती लड़ने वाला मजबूत और कसरती व्यक्ति।----
पहलाविशेषणविशेषणविशेषण--समय के विचार से जो और सब के आदि में हुआ हो ;किसी चीज विशेषत: किसी वर्गीकृत चीज के आरंभिक या प्रांरभिक अंश या वर्ग से संबंध रखने वाला ;वर्तमान से पूर्व का, विगत।--
पहलेक्रिया विशेषणक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण--आदि, आरंभ या शुरु मे, सर्व प्रथम;काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से आगे या पूर्व;बीते हुए समय में, पूर्वकाल में पुराने जमाने में।--
पहाड़पुंलिंग----चट्टानों का वह प्राकृतिक पुंज जो जमीन की सतह से बहुत ऊंचा होता है, पर्वत।----
पहाड़ापुंलिंग----किसी अंक की गुणन सारणी।----
पहियापुंलिंगपुंलिंग---गाड़ी, यान आदि का वह गोलाकार हिस्सा जिसकी धुरी पर घूमने से गाड़ी या यान आगे बढ़ता है ;यंत्रों आदि में लगा हुआ उक्त प्रकार का गोलाकार जिसके घूमने से उस यंत्र की कोई क्रिया संपन्न होती है।---
पहुंचनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---(वस्तु अथवा व्यक्ति का) एक स्थान से चलकर अथवा किसी प्रकार दूसरे स्थान पर उपस्थित या प्रस्तुत होना ;किसी स्थान या पद आदि को प्राप्त होना।---
पांडुलिपिस्त्रीलिंग----पुस्तक, लेख आदि की मुद्रण योग्य प्रति।----
पाक्षिकविशेषणविशेषण---चांद्र मास के पक्ष से संबंध रखने वाला ;जो एक पक्ष (15 दिन) में एक बार होता है।---
पांखडपुंलिंगपुंलिंग---दिखावटी आचरण, उपासना या भक्ति ;पूजा-पाठ आदि का आडंबर, ढकोसला, ढोंग।---
पागलविशेषण----जो किसी तीव्र मनोविकार के कारण ज्ञान या विवेक खो बैठा हो, विक्षिप्त, सनकी।----
पाचकविशेषणपुंलिंग---पचाने वाला ;वह दवा जो खाई हुई चीज पचाती या पाचन शक्ति बढ़ाती हो।---
पाठकपुंलिंग----पढ़ने वाला।----
पाठशालास्त्रीलिंग----वह स्थान जहाँ विद्यार्थियों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है, विद्यालय।----
पातालपुंलिंगपुंलिंग---पृथ्वी के नीचे के सात लोकों में से सबसे नीचे का लोक, नाग-लोक ;बहुत अधिक गहरा और नीचा स्थान।---
पात्रपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--वह आधान जिसमें कुछ रखा जा सके, बरतन, भाजन;ऐसा व्यक्ति जो किसी काम या बात के सब प्रकार से उपयुक्त या योग्य समझा जात हो ;उपन्यास, कहानी, काव्य नाटक आदि में वे व्यक्ति जो कथा-वस्तु की घटनाओं के घटक होते हैं और जिनके क्रिया-कलाप या चरित्र से कथा-वस्तु की सृष्टि और परिपाक होता है।--
पानासकारात्मक क्रिया----प्राप्त करना।----
पापपुंलिंग----धर्म और नीति के विरूद्ध किया जाने वाल ऐसा निंदनीय आचारण या काम जो बुरा हो और जिसके फलस्वरूप मनुष्य को नरक भोगना पड़ता हो।----
पारंगतविशेषण----जिसने किसी विद्या या शास्त्र का बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त कर लिया हो।----
पारपुंलिंगपुंलिंग---झील, नदी, समुद्र आदि का दूसरी ओर का किनारा ;किसी काम या बात का अंतिम छोर या सिरा, विस्तार या व्याप्ति की चरम सीमा या हद।---
पारदर्शीविशेषणविशेषण---आर-पार अर्थात् बहुत दूर तक की बात देखने और समझने वाला ;दूरदर्शी, पारदर्शक।---
पारसपुंलिंग----एक कल्पित पत्थर जिसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाता है।----
पारावारपुंलिंग----समुद्र।----
पारिभाषिकविशेषणविशेषण---परिभाषा संबंधी ;जो (शब्द) जो किसी शास्त्र या विषय में अपना साधारण से भिन्न कोई विशिष्ट अर्थ रखता हो (टेक्नीकल)।---
पारिश्रमिकपुंलिंग----किए हुए श्रम या कार्य के बदले में मिलने वाला धन, करने की मजूरी (रिम्यूनरेशन)।----
पालकीस्त्रीलिंग----एक प्रसिद्ध सवारी जिसे कहार या मजदूर कंधे पर उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं।----
पालतूविशेषण----(पशु पक्षियों के संबंध में) जो पकड़ कर घर में रखा तथा पाला गया हो (जंगली से भिन्न)।----
पालनपुंलिंगपुंलिंग---भरण-पोषण, परवरिश ;आज्ञा, आदेश, कर्त्तव्य, वचन आदि कार्यों का निर्वाह।---
पालनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--भरण-पोषण करना, परवरिश करना;आज्ञा, आदेश प्रतिज्ञा, वचन आदि के अनुसार आचरण या व्यवहार करना;पशु-पक्षियों को अपने पास रख कर खिलाना-पिलाना, पोसना।--
पावनविशेषणविशेषण---पवित्र;(समस्त पदों के अंत में) पवित्र करने या बनाने वाला।---
पाशपुंलिंग----वह चीज जिससे किसी को फंसाया या बांधा जाए, बंधन, फंदा।----
पासविशेषणविशेषणविशेषण--जो अवकाश, काल आदि के विचार से अधिक दूरी पर न हो, निकट, समीप;अधिकार में, हाथ में ;जो जांच, परीक्षा आदि में उपयुक्त या ठीक ठहरा हो।--
पिंजरापुंलिंग----धातु बांस आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की तरह का वह आधान जिसमें पक्षी, पशु आदि बंद करके रखे जाते हैं (केज)।----
पिंडपुंलिंगपुंलिंग---धनी या ठोस चीज का छोटा और प्राय: गोलाकार खंड या टुकड़ा, ढेला या लोंदा ;जौ के आटे, भात आदि का बनाया हुआ वह गोलाकार खंड जो श्राद्ध में पितरों के उद्देश्य से वेदी आदि पर रखा जाता है।---
पिंडदानपुंलिंग----कर्मकांड के अनुसार पितरों का पिंड देने का कर्म जो श्राद्ध में किया जाता है।----
पिचकारीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---नली के आकार का धातु का बना हुआ एक उपकरण जिसके मुंह पर एक या अनेक ऐसे छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिनके मार्ग से नाली में भरा हुआ तरल पदार्थ दबाव से धार या फुहार के रूप में दूसरों पर या दूर तक छिड़का या फेंका जाता है (सिरिंज) ;किसी चीज से जोर से निकलने वाली तरल पदार्थ की धार।---
पिछलाविशेषणविशेषणविशेषण--जो किसी वस्तु के पीछे की ओर हो (हिंड, बैक) ;काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से किसी के पीछे अर्थात पूर्व में या पहले पड़ने या होने वाला (प्रीसीडिंग) ;बीता हुआ।--
पिपासास्त्रीलिंग----पानी या और कोई तरल पदार्थ पीने की इच्छा, तृष्णा, तृषा, प्यास।----
पिशाचपुंलिंग----एक प्रकार के भूत या प्रेत जिनकी गणना हीन देव योनियों में होती है तथा जो वीभत्स कर्म करने वाले माने जाते हैं।----
पीछेक्रिया विशेषणक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण--पीठ की ओर ;काल क्रम, देश आदि के विचार से किसी के पश्चात् या उपरांत, घटना या स्थिति के विचार से किसी के अनंतर, उपरांत, पश्चात्;किसी के कारण या खातिर निमित्त, के लिए, वास्ते।--
पीटनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---आघात करना, चोट पहुंचाना ;चौसर, शतरंज आदि के खेलों में विपक्षी की गोट या मोहरा मारना।---
पीठिकास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---छोटा पीढ़ा, पीढ़ी ;वह आधार जिस पर कोई चीज विशेषत: देवमूर्त्ति रखी, लगाई या स्थापित की गई हो।---
पीड़ास्त्रीलिंग----शारीरिक या मानसिक कष्ट, दर्द, त्वचा का दर्द।----
पीढ़ीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--किसी कुल या वंश की परम्परा में, क्रम-क्रम से आगे बढ़ने वाली संतान की प्रत्येक कड़ी या स्थिति ;छोटा पीढ़ा ;किसी विशिष्ट समय का वह सारा जनसमुदाय जिसकी वय में अधिक छोटाई-बड़ाई न हो।--
पीनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी तरल पदार्थ को घूँट-घूँट करके पेट मे उतारना ;धूम्रपान करना या शराब आदि से नशा करना।---
पीलाविशेषणविशेषण---जो केसर, सोने या हल्दी के रंग का हो।आभा-रहित, निष्प्रभ।---
पीसनासकारात्मक क्रिया----रगड़ या दबाव पहुंचा कर किसी वस्तु को चूरे के रूप में बदलना।----
पुंजपुंलिंगपुंलिंग---ढेर, राशि ;समूह।---
पुकारस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---जोर से नाम लेकर संबोधित करने की क्रिया या भाव;आत्मरक्षा, सहायता आदि के लिए दूसरों को बुलाने की क्रिया या भाव।---
पुकारनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी को बुलाने, संबोधित करने या उसका ध्यान आकृष्ट करने के लिए जोर से उसका नाम लेना ;रक्षा, सहायता आदि के लिए किसी का आह्वान करना, आवाज लगाना या चिल्लाना।---
पुचकारनासकारात्मक क्रिया----प्यार जतलाते हुए मुंह से पुच-पुच शब्द करना।----
पुजारीपुंलिंग----किसी देवी-देवता की मूर्त्ति या प्रतिमा की पूजा करने वाला व्यक्ति।----
पुण्यविशेषणविशेषणविशेषणपुंलिंगपुंलिंगपवित्र, शुद्ध ;मंगलकारक, शुभ ;धर्म-विहित और उत्तम फलदायक।धार्मिक दृष्टि से कुछ विशिष्ट अवसरों पर कुछ विशिष्ट कर्म करने से प्राप्त होने वाला शुभ फल;अच्छे और शुभ कर्मों का संचित रूप जिसका आगे चलकर उत्तम फल मिलता हो।
पुनरावृत्तिस्त्रीलिंग----किए हुए काम या बात को फिर से करने या दोहराने की क्रिया या भाव।----
पुनरीक्षणपुंलिंग----किए हुए काम को जांचने के लिए फिर से देखना।----
पुनर्जन्मपुंलिंग----मरने के बाद फिर से उत्पन्न होना, दोबारा शरीर धारण करना।----
पुनीतविशेषण----पवित्र।----
पुरस्कारपुंलिंग----अच्छी तरह कोई प्रशस्त और कठिन कार्य करने पर आदर या सत्कार के रूप में दिया जाने वाला धन या पदार्थ (प्राइज़, एवार्ड, रिवार्ड)।----
पुरूषार्थपुंलिंगपुंलिंग---वह मुख्य अर्थ, उद्देश्य या प्रयोजन जिसकी प्राप्ति या सिद्धि के लिए मनुष्य का प्रयत्न करना आवश्यक और कर्त्तव्य हो (पूरुषार्थ चार हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष);उद्योग, उद्यम।---
पुरोहितपुंलिंग----कर्मकांड आदि जानने वाला ब्राह्मण जो अपने यजमान के यहां मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कार कराता तथा अन्य अवसरों पर उनसे दान, दक्षिणा आदि लेता है (हिन्दू प्रीस्ट)।----
पुलपुंलिंग----खाइयों, नदी-नालों, रेल लाईनों, आदि के ऊपर आर-पार पाट कर बनाई हुई वह वास्तु रचना, जिस पर से होकर गाड़ियाँ और आदमी इधर से उधर आते जाते हैं सेतु (ब्रिज)।----
पुष्पपुंलिंग----फूल, कुसुम।----
पुष्पांजलिस्त्रीलिंग----फूलों से भरी हुई अंजली जो किसी देवता या महापुरुष को अर्पित की जाती है।----
पुस्तकालयपुंलिंग----वह स्थान जिसमें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें सुव्यवस्थित ढंग से रखी जाती हैं।----
पूंजीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---जोड़ा या जमा किया हुआ धन ;ऐसा धन जो अधिक कमाने के उद्देश्य से व्यापार आदि में लगाया गया हो अथवा ऋण आदि पर उधार दिया गया हो।---
पूछताछस्त्रीलिंग----किसी बात की जानकारी के लिए उसके संबंध में एक या अनेक व्यक्तियों से बार-बार पूछना।----
पूछनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--किसी बात की जिज्ञासा से कोई प्रश्न करना ;जाँच, परीक्षा आदि के प्रसंग में किसी के सामने कुछ प्रश्न रखना कि वह उसका उत्तर दे;किसी का हाल-चाल या खोज खबर लेना।--
पूजनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---देवी-देवता को प्रसन्न या संतुष्ट करने के लिए यथाविधि श्रद्धाभाव से जल, फूल नैवेद्य आदि चढ़ाना ;किसी को परम श्रद्धा, भक्ति और आदर की दृष्टि से देखना और आदरपूर्वक उसकी सेवा तथा सत्कार करना।---
पूजनीयविशेषण----पूजा करने योग्य, अर्चनीय या आदरणीय।----
पूजास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी देवी-देवता पर विनय, श्रद्धा और समर्पण के भाव के साथ जल, फूल, फल, अक्षत आदि चढ़ाने का धार्मिक कृत्य, अर्चन, पूजन ;बहुत अधिक आदर-सत्कार, आव-भगत।---
पूराविशेषणविशेषण---पूरी तरह से, भरा हुआ, परिपूर्ण ;समग्र, समूचा, सारा, कुल।---
पूर्णविशेषणविशेषणविशेषण--जो पूरी तरह से भरा हुआ हो ;सब प्रकार की यथेष्टता के कारण जिसमें कुछ भी अपेक्षा, अभाव या आवश्यकता न रह गई हो, सबका सब, पूरा, सारा समस्त;हर तरह से ठीक और पूरा।--
पूर्णमासीस्त्रीलिंग----शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि जिसमें चन्द्रमा अपनी सोलहों कलाओं से युक्त होता है, पूर्णिमा।----
पूर्णिमास्त्रीलिंग----चाँद्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि जिसमें चन्द्रमा अपने पूरे मंडल से उदय होता है, पूर्णमासी।----
पूर्वजपुंलिंग----बाप, दादा, परदादा आदि पूर्व पुरुष, पुरखा।----
पूर्वानुमानपुंलिंग----किसी भावी काम या बात के स्वरूप आदि के संबंध में पहले से किया जाने वाला अनुमान या कल्पना।----
पूर्वाभासपुंलिंग----किसी काम या बात के संबंध में पहले से ही हो जाने वाला अनुमान।----
पूर्वाह्नपुंलिंग----दिन का पहला भाग, सवेरे से दोपहर का समय।----
पृथ्वीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सौर जगत का पाँचवां सबसे बड़ा ग्रह जिसमें हम लोग रहते हैं ;आकाश तथा जल से भिन्न वह अंश जिस पर मनुष्य तथा पशु विचरण करते तथा पेड़-पौधे उगते हैं, जमीन, मिट्टी।---
पृष्ठभूमिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---पिछला भाग ;पहले की वे सब बातें और परिस्थितियाँ जिसके आगे या सामने कोई नई विशेष बात या घटना हो और जिनके साथ मिलान करने पर उस बात या घटना का रूप स्पष्ट होता है, भूमिका (बैकग्राउण्ड)।---
पेचीदाविशेषणविशेषण---जिसमें बहुत से पेंच हो ; घुमाव-फिराव वाला;(काम या बात) जिसमें बहुत-सी उलझनें कठिनाइयां या झंझट हों।---
पेटीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कमर में लपेट कर बाँधने का तमसा, कमरबंद;छोटा संदूक, संदूकची, छोटी डिबिया।---
पेड़पुंलिंग----वृक्ष।----
पेशगीस्त्रीलिंग----अग्रिम धन (एडवान्स)।----
पेशापुंलिंग----व्यवसाय, धंधा।----
पैदावारस्त्रीलिंग----फसल, अन्न आदि जो खेत में बोने से पैदा होता है, उत्पादन।----
पोंछनासकारात्मक क्रिया----किसी सूखे कपड़े को इस प्रकार किसी अंग, वस्तु या स्थान पर फेरना कि उस स्थान की नमी को सोख ले।----
पोतपुंलिंग----जहाज़, जलयान।----
पोतनासकारात्मक क्रिया----लेप करना, चुपड़ना।----
पोषणपुंलिंगपुंलिंग---लालन-पालन ;पुष्टि, समर्थन।---
पोशाकस्त्रीलिंग----पहनावा, लिबास।----
पौधापुंलिंग----छोटा पेड़, नया पेड़।----
पौना (पौन)विशेषणविशेषण---तीन चौथाई।----
पौरुषपुंलिंग----पुरुषार्थ, पराक्रम, उद्यम।----
पौष्टिकविशेषण----शक्तिवर्धक।----
प्याऊपुंलिंग----वह स्थान जहाँ राह चलते लोगों को नि:शुल्क पानी पिलाया जाता है।----
प्यारपुंलिंग----स्नेह, प्रेम, अनुराग।----
प्याराविशेषणविशेषण---जो देखने में अच्छा और भला लगे;स्नेह या प्रेम का पात्र।---
प्यालापुंलिंग----एक प्रकार की कटोरी (कप)।----
प्यासस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---वह स्थिति जिसमें जल या कोई तरल पदार्थ पीने की उत्कट इच्छा होती है, तृष्णा, पिपासा ;प्रबल इच्छा या कामना।---
प्रकटविशेषण----ज़ाहिर, स्पष्ट, उद्भूत।----
प्रकांडविशेषण----उत्तम, सर्वश्रेष्ठ।----
प्रकृतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सहज स्वाभाविक गुण, स्वभाव ;विश्व में रचना या सृष्टि करने वाली मूल नियामक तथा संचालन शक्ति, कुदरत (नेचर)।---
प्रकोपपुंलिंगपुंलिंग---अत्यधिक क्रोध ;किसी बीमारी का ज़ोर।---
प्रखरविशेषण----तीक्ष्ण, उग्र तेज।----
प्रगतिशीलविशेषण----जो आगे बढ़ रहा हो या उन्नति कर रहा हो।----
प्रचंडविशेषण----अति तीव्र भंयकर।----
प्रचलितविशेषण----जो उपयोग या व्यवहार में आ रहा हो।----
प्रचारपुंलिंग----वह प्रयास जो किसी बात या सिद्धान्त को फैलाने के लिए किया जाता है (प्रोपगेंडा)।----
प्रचुरविशेषण----बहुत अधिक, प्रभूत।----
प्रजननपुंलिंगपुंलिंग---संतान उत्पन्न करना ;पशुओं आदि को पाल पोस कर उनकी उन्नति और वृद्धि करना (ब्रीडिंग)।---
प्रजास्त्रीलिंग----किसी राज्य या राष्ट्र की जनता।----
प्रजातंत्रपुंलिंग----प्रजा की प्रजा के प्रतिनिधियों द्वारा प्रजा के लिए शासन व्यवस्था (डिमाक्रेसी)।----
प्रणपुंलिंग----दृढ़ निश्चय, प्रतिज्ञा।----
प्रणयपुंलिंग----प्रेम, प्रीति।----
प्रणामपुंलिंग----नमस्कार, अभिवादन।----
प्रणालीस्त्रीलिंग----पद्धति, रीति, ढंग।----
प्रतापपुंलिंगपुंलिंग---तेज, प्रभाव ;पौरुष, वीरता।---
प्रतिकारपुंलिंगपुंलिंग---बदला चुकाने के लिए किया गया कार्य बदला, प्रतिशोध (रिवेंज);किसी बात को रोकने दबाने के लिए किया जाने वाला उपाय, रोकथाम।---
प्रतिकूलविशेषण----जो अनुकूल न हो, विपरीत।----
प्रतिक्रियास्त्रीलिंग----किसी कार्य या घटना के परिणाम स्वरूप होने वाला कार्य।----
प्रतिज्ञास्त्रीलिंग----शपथ, सौगंध, प्रण।----
प्रतिद्वंद्वीपुंलिंगपुंलिंग---वह व्यक्ति या वस्तु जो किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु के मुकाबले की हो या जिससे उसका मुकाबला हो (राइवल)।एक व्यक्ति की दृष्टि में वह दूसरा व्यक्ति जो एक ही वस्तु या पद को पाने के लिए उसी की तरह उम्मीदवार हो, प्रतियोगी (कॅनटेस्टन्ट)।---
प्रतिध्वनिस्त्रीलिंग----गूँज, प्रतिशब्द।----
प्रतिनिधिपुंलिंग----वह व्यक्ति जो दूसरों की ओर से कहीं भेजा जाए अथवा उनकी ओर से कार्य करे (रेप्रिजेंटेटिव)।----
प्रतिपादनपुंलिंग----किसी विषय का सप्रमाण कथन, निरूपण, विषय का स्थापन।----
प्रतिबंधपुंलिंगपुंलिंग---बंधन या रोक, मनाही ;किसी काम या बत में लगाई कई शर्ते।---
प्रतिबिंबपुंलिंग----परछाई, प्रतिच्छाया।----
प्रतिभास्त्रीलिंग----असाधारण बुद्धिबल, विलक्षण बौद्धिक शक्ति।----
प्रतिमास्त्रीलिंग----मूर्ति, अनुकृति।----
प्रतियोगितास्त्रीलिंग----होड़, मुकाबला।----
प्रतिलिपिस्त्रीलिंग----किसी लिखी हुई चीज की नकल (कापी)।----
प्रतिशतक्रिया विशेषण----हर सौ पर, फीसदी।----
प्रतिशोधपुंलिंग----बदला प्रतिकार।----
प्रतिष्ठास्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--मान, मर्यादा, इज्ज़त ;ख्याति, प्रसिद्धि ;स्थापन।--
प्रतिस्पर्धास्त्रीलिंग----होड़, प्रतियोगिता।----
प्रतीकविशेषण----वह गोचर या दृश्य वस्तु जो किसी अगोचर या अदृश्य वस्तु के बहुत कुछ अनुरूप होने के कारण उसके गुण रूप का परिचय कराने के लिए उसका प्रतिनिधित्व करती हो (सिंबल)।----
प्रतीक्षास्त्रीलिंग----इन्तज़ार।----
प्रतीक्षालयपुंलिंग----वह स्थान जहाँ बैठकर किसी का इन्तजार किया जाता है।----
प्रत्यक्षविशेषण----जो आंखो के सामने स्पष्ट दिखाई दे रहा हो।----
प्रत्ययपुंलिंगपुंलिंग---व्याकरण में वह अक्षर या अक्षरों का समूह जो धातुओं अथवा विकारी शब्दों के अंत में लगकर उनके अर्थो में विशेषता उत्पन्न कर देते हैं (साफिक्स);विश्वास, धारणा।---
प्रत्याशीपुंलिंग----उम्मीदवार।----
प्रत्येकविशेषण----हरएक।----
प्रथमविशेषण----जो पहले स्थान पर हो।----
प्रथास्त्रीलिंग----रीति, परिपाटी।----
प्रदक्षिणास्त्रीलिंग----किसी पवित्र स्थान या देव मूर्ति के चारों ओर इस प्रकार घूमना कि वह पवित्र स्थान या मूर्ति बराबर दाहिनी ओर रहे, परिक्रमा।----
प्रदर्शिनिस्त्रीलिंग----वह स्थान जहाँ तरह-तरह की वस्तुएं दिखाने के लिए रखी हों।----
प्रदेशपुंलिंगपुंलिंग---भू-भाग का कोई खंड विशेष;किसी संघ या राज्य की कोई इकाई।---
प्रधानविशेषण----सबसे बड़ा मुख्य, मुखिया।----
प्रबंधपुंलिंगपुंलिंग---व्यवस्था ;निबन्ध, रचना।---
प्रबलविशेषणविशेषण---जिसमें बहुत अधिक बल हो ;तेज, प्रचंड, घोर।---
प्रभास्त्रीलिंग----प्रकाश, दीप्ति;----
प्रभातपुंलिंग----सूर्य निकलने से कुछ पहले का समय, प्रात: काल।----
प्रभावपुंलिंगपुंलिंग---किसी के बुद्धिबल, उच्चपद आदि के फलस्वरूप दूसरों पर पड़ने वाला दबाब (इन्फ्लूएन्स);फल, परिणाम, असर।---
प्रभुपुंलिंगपुंलिंग---ईश्वर ;स्वामी, शासक---
प्रमाणपुंलिंगपुंलिंग---सबूत ;जिसका वचन या निर्णय यर्थाथ या सत्य माना जाए।---
प्रमुखविशेषणविशेषण---प्रथम, मुख्य ;श्रेष्ठ, सम्मान्य, प्रतिष्ठित।---
प्रयत्नपुंलिंग----कोशिश, प्रयास।----
प्रयासपुंलिंग----प्रयत्न, कोशिश।----
प्रयोगपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--इस्तेमाल ;अस्त्र-शस्त्र चलाना या छोड़ना ;आजकल विज्ञान के क्षेत्र में किसी प्रकार का अनुसंधान करने के लिए की जाने वाली कोई परीक्षणात्मक क्रिया (ऐक्सपेरिमेन्ट)।--
प्रयोगशालास्त्रीलिंग----वह स्थान जहाँ विभिन्न तकनीकी विषयों से संबंधित प्रयोग किए जाते हैं (लेबोरेटरी)।----
प्रयोजनपुंलिंगपुंलिंग---उद्देश्य, हेतु ;अभिप्राय, मतलब।---
प्रलयपुंलिंगपुंलिंग---संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टि का सर्वनाश ;भयंकर नाश या बरबादी।---
प्रलेखपुंलिंग----दस्तावेज, अनुबंध पत्र।----
प्रलोभनपुंलिंग----लालच।----
प्रवचनपुंलिंगपुंलिंग---धार्मिक नैतिक आदि गंभीर विषयों में परोपकार की दृष्टि से कही जाने वाली अच्छी तथा विचारपूर्ण बातें ;उपदेशपूर्ण भाषण (सर्मन)।---
प्रवासपुंलिंग----परदेस में रहना, विदेशवास।----
प्रवासीविशेषण----परदेश में रहने वाला, जो प्रवास में हो।----
प्रवाहपुंलिंगपुंलिंग---बहने की क्रिया या भाव, बहाव ;किसी वस्तु का अटूट क्रम।---
प्रविष्टिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---प्रवेश ;इन्दराज, बही खाते आदि में लेखे विवरण आदि लिखना।---
प्रवीणविशेषण----निपुण, कुशल।----
प्रवृत्तिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---मन का किसी विषय की ओर झुकाव (ट्रैन्ड) ;मनुष्य का साधारण आचरण या व्यवहार।---
प्रवेशपुंलिंगपुंलिंग---अन्दर जाने की क्रिया या भाव ;किसी विशिष्ट संस्था आदि में भरती होना, दाखिला।---
प्रशंसास्त्रीलिंग----गुणों का बखान, तारीफ।----
प्रशासनपुंलिंग----सार्वजनिक व्यवस्था की दृष्टि से किया जाने वाला कार्य, शासन, (एडमिनिस्ट्रेशन)।----
प्रशिक्षणपुंलिंग----किसी व्यावहारिक या प्रायोगिक शिक्षा पद्धति से दी जाने वाली विशेष शिक्षा, सिखलाई ; (ट्रेनिंग)।----
प्रसंगपुंलिंग----विषय या तारतम्य, प्रकरण, संबंध।----
प्रसन्नविशेषण----खुश, संतुष्ट, प्रफुल्लित।----
प्रसारणपुंलिंगपुंलिंग---आकाशवाणी आदि द्वारा अपने कार्यक्रमों को दूर-दूर के लोगों को सुनाने के लिए फैलाना, (ब्राडकास्टिंग);फैलाना---
प्रसिद्धविशेषण----विख्यात, मशहूर।----
प्रसूतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---प्रसव, उत्पत्ति ;संतति, संतान।---
प्रस्तावपुंलिंगपुंलिंग---किसी के सामने विचारार्थ रखी गई बात या सुझाव ;उक्त का वह रूप जो किसी सभा या संस्था के सदस्यों के समक्ष विचारार्थ रखा जाए (मोशन)।---
प्रस्तावनास्त्रीलिंग----किसी ग्रंथ का वह आरम्भिक वक्तव्य जिसमें उससे संबंधित कुछ मुख्य बातों का विवेचन किया जाता है (प्रिफेस)।----
प्रस्तुतविशेषणविशेषणविशेषण--मौजूद, उपस्थित, वर्तमान ;प्रकरण प्राप्त, प्रासंगिक ;उद्यत, तैयार।--
प्रहरीपुंलिंग----पहरेदार।----
प्राणपुंलिंग----शरीर के भीतर की जीवनाधार वायु, श्वास।----
प्राणदंडपुंलिंग----मौत की सजा, मृत्यु दंड।----
प्राथमिकतास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी कार्य, बात या व्यक्ति को औरों से पहले दिया जाने या मिलने वाला अवसर या स्थान, अग्रता (प्राइअरिटी);प्रथम स्थान में होने या रखे जाने की अवस्था या भाव।---
प्रादेशिकविशेषण----प्रदेश संबंधी, प्रदेश का।----
प्राप्तविशेषण----जो मिला हो लब्ध।----
प्रामाणिकविशेषणविशेषण---जो प्रमाण के रूप में माना जाता हो या माना जा सकता हो ;जो शास्त्रोंआदि से प्रमाणित या सिद्ध हो।---
प्राय:क्रिया विशेषणक्रिया विशेषण---लगभग, करीब-करीब ;अक्सर, अधिकतर।---
प्रायद्वीपपुंलिंग----स्थल का वह भाग जो तीन ओर पानी से घिरा हो और एक ओर स्थल से लगा हो (पिनिन्स्युला)।----
प्रायश्चितपुंलिंगपुंलिंग---कोई ग़लत या अनुचित कार्य हो जाने पर अफसोस करना, पछतावा ;पाप का मार्जन करने के लिए किया जाने वाला शास्त्रविहित कर्म।---
प्रार्थनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---निवेदन, याचना ;अपने अथवा किसी और के कल्याण की कामना भक्ति और श्रद्धापूर्वक ईश्वर से करना।---
प्रियविशेषण----जिसके प्रति बहुत अधिक स्नेह या प्रेम हो, मन को अच्छा लगने वाला, प्यारा।----
प्रीतिभोजपुंलिंग----किसी मांगलिक या सुखद अवसर पर बंधु-बांधवों और इष्ट मित्रों को अपने यहाँ बुलाकर कराया जाने वाला भोजन, दावत।----
प्रेमपुंलिंग----प्रीति, प्यार, स्नेह, अनुराग।----
प्रेरकविशेषण----प्रेरित करने वाला, प्रेरणा देने वाला।----
प्रेरणास्त्रीलिंग----किसी को किसी कार्य में प्रवृत्त करने की प्रक्रिया या भाव।----
प्रेषणपुंलिंग----भेजना, रवाना करना।----
प्रोत्साहनपुंलिंगपुंलिंग---हिम्मत बढ़ाना ;प्रोत्साहित करने के लिए कही जाने वाली बात।---
प्रोढ़विशेषणविशेषणविशेषण--अच्छी या पूरी तरह से बढ़ा हुआ ;आरम्भिक अवस्था पार करके मध्य अवस्था में पहुँचा हुआ (व्यक्ति) (एडल्ट) ;पुष्ट, परिपक्व (मैच्योर)।--