विक्षिप्त
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विक्षिप्त ^१ वि॰ [सं॰]
१. फेंका या छितराया हुआ ।
२. जिसका त्याग किया गया हो । त्यक्त ।
३. जिसका दिमाग ठिकाने न हो । पागल । उ॰—(क) उसकी नींद भी उड़ जाती होगी और जो रात दिन जागता होगा, तो विक्षिप्त या अतिरोगी होगा ।—दयानंद (शब्द॰) । (ख) तुमहिं कह्मो श्रुति शास्त्रन माहीं । जहँ विक्षिप्त भूप ह्वै जाहीं ।—रघुराज (शब्द॰) ।
४. घबराया हुआ । पागलों का सा । विकल । व्याकुल ।
५. भेजा हुआ । प्रेषित (को॰) ।
६. जिसका खंडन किया गया हो । निराकृत (को॰) ।
७. कंपित । विक्षुब्ध । जैसे, विक्षिप्त भ्रू विलास (को॰) ।
विक्षिप्त ^२ संज्ञा पुं॰ योग में चित्त की वृत्तियों या अवस्थाओं में से एक जिसमें चित्त प्रायः अस्थिर रहता है, पर बीच बीच में कुछ स्थिर भी हो जाता है । कहा गया है कि ऐसी अवस्था योग की साधना के लिये अनुकूल या उपयुक्त नहीं होती । विशेष—दे॰ 'चित्तभूमि' और 'योग' ।