विक्षेप
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
विक्षेप संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. ऊपर की ओर अथवा इधर उधर फेंकना । डालना ।
२. इधर उधर हिलाना । झटका देना ।
३. (धनुष की डोरी) खींचना । चिल्ला चढ़ाना ।
४. मन को इधर उधर भटकाना । इंद्रियों को वश में न रखना । संयम का उलटा । उ॰—ईर्ष्या, द्वेष, काम, अभिमान, विक्षेप आदि दोषों से अलग हो के सत्य आदि गुणों को धारण करे ।—दयानंद (शब्द॰) ।
५. प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र जो फेंककर चलाया जाता था ।
६. सेना का पड़ाव । छावनी ।
७. एक प्रकार का रोग ।
८. बाधा । विघ्न । खलल । जैसे,— इस काम में कई विक्षेप पड़े हैं । उ॰—समाधि की प्राप्ति होने पर भी उसमें चित्त स्थिर न होना ये सब चित्त की समाधि होने में विक्षेप अर्थात् उपासनायोग के शत्रु हैं ।—दयानंद (शब्द॰) ।
९. भेजना । प्रेषण (को॰) ।
१०. खटका । भय (को॰) ।
११. तर्क का निराकरण (को॰) ।
१२. ध्रुवीय अक्षरेखा (को॰) ।
१३. व्यर्थ गवाँना (को॰) ।
१४. अनव- धानता (को॰) ।