विदग्ध
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विदग्ध ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. रसिक पुरुष । रसज्ञ । नागर ।
२. पंडित विद्वान् ।
३. चतुर । चालाक । होशियार । कलाभिज्ञ ।
४. रूसा नामक घास ।
विदग्ध ^२ वि॰
१. जला हुआ । दग्ध ।
२. जिसका पाक हुआ हो । पका या पचा हुआ (को॰) ।
३. नष्ट । सड़ा गला (को॰) ।
४. जो जला या पचा न हो (को॰) ।
५. सुंदर (को॰) ।
६. भद्रतापूर्ण । जैसे, पोशाक ।
७. परिपक्व । जैसे, गुल्म (को॰) ।
८. पिंग । पीला (को॰) । यौ॰—विदग्ध अजीर्ण = दे॰ 'विदग्धाजीर्ण' । विदग्ध वरिवृद्धता = पेट में अम्ल का घुमड़ना और पेट का फूलना । विदग्ध परिषद् = रसिकों या विदग्ध व्यक्तियों की सभा । विदग्धवचन = वाक्चतुर ।