विरूद्ध

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

विरूद्ध हेत्वाभास संज्ञा पुं॰ [सं॰] न्याय में वह हेत्वाभास जहाँ साध्य के साधक होने के स्थान पर साध्य के अभाव का साधक हेतु हो । जैसे,—यह द्रव्य वह्निमान् है; क्योकि यह महा हृद है । यहाँ महा हृद होना वह्नि के होने का हेतु नहीं है, वरन् वह्रि के अभाव का हेतु है ।