शलाका
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
शलाका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. लोहे या लकड़ी आदि की लंबी सलाई । सलाख । सीख ।
२. वह सलाई जिससे घाव की गहराई आदि नापी जाती है ।
३. बाण । शर । तोर ।
४. अस्थि । हड्डी ।
५. मदनवृक्ष । मैनफल ।
६. तिनका । तृण ।
७. शारिका पक्षी । मैना ।
८. सलई । शल्लकी वृक्ष ।
९. सुरमा लगाने की सलाई ।
१०. खेलने का पासा ।
११. बच । वचा ।
१२. रामायण के अनुसार एक प्राचीन नगरी का नाम ।
१३. नली की हड्डी ।
१४. मतदान के लिये पर्चियों की भाँति काम में आनेवाली लकड़ी की सलाइयाँ । —उ॰—एक पुरुष सदस्यों को रंग रंग को लकड़ी की सलाकाएँ बाँट देता था और समझा देता था कि प्रत्येक रंग का अर्थ क्या है ।—हिंदु॰ स॰, पृ॰ २५६ ।
१५. साँग । नेजा । भाला (को॰) ।
१६. तीली । जैसे, छत्रशलाका (को॰) ।
१७. तूलिका । कूँची (को॰) ।
१८. साही नामक जानवर (को॰) ।
१९. अंकुर । अँखुवा (को॰) ।
२०. उँगली । जैसे, शलाकानख(को॰) ।
२१. दाँत साफ करने की कूँची (को॰) ।
२२. शासक । शास्ता (को॰) ।
२३. कील । खूँटी (को॰) ।
२४. पिंजड़े या खिड़की आदि का छड़ (को॰) ।
२५. रेखा खींचने की नोकदार सिलाई (को॰) ।
शलाका ग्राहापक संज्ञा पुं॰ [सं॰] मतदान के लिये बँटी हुई शलाकाओं को एकत्रित करनेवाला अधिकारी । उ॰—जो अधिकारी शलाकाओं को फिर एकत्रित करते थे उनका नाम शलाका ग्राहापक होता था । —हिंदु॰ स॰, पृ॰ २१० ।
शलाका परीक्षा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] विद्यार्थी की वह परीक्षा जिसमें ग्रंथ में शलाका डालने जो पृष्ठ सामने आ जाय उसी की परीक्षा ली जाती थी ।
शलाका पुरुष संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. बौद्धों जैनों के तिरसठ अवतारी पुरुष । देवपुरुष । जैसे, त्रिषाष्ठ शलाकापुरुष चरित्र । उ॰— कभी किसी शलाकापुरुष ने ब्राह्मण कुल में जन्म नहीं लिया ।—हिंदु॰ स॰, पृ॰ २७३ । विशेष—इस शलाकापुरुषों में १२ चक्रवर्ती, २४ जिन, ९ वासु- देव, ९ बलदेव और ९ प्रतिवासुदेव माने जाते हैं । इस प्रकार ६३ शलाकापुरुष माने गए हैं ।