शौक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शौक संज्ञा पुं॰ [अ॰ शौक़]
१. किसी वस्तु की प्राप्ति या निरंतर भोग के लिये अथवा कोई कार्य करते रहने के लिये होनेवाली तीव्र अभिलाषा या कामना । प्रबल लालसा । जैसे,—मोटर का शौक, सफर का शौक, खाने पीने का शौक, जूए का शौक, किताबौं का शौक । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रखना ।—होना । मुहा॰—शौक करना = किसी वस्तु या पदार्थ का भोग करना । जैसे,—तंबाकू आ गया, शौक कीजिए । शौक चर्राना या पैदा होना = मन में प्रबल कामना होना । तीव्र लालसा होना (व्यंग्य) । जैसे—अब आप को भी घोड़े पर चढ़ने का शौक चर्राया है । शौक पूरा करना या मिटाना = किसी बात की प्रबल इच्छा की पूर्ति करना । जैसे,—जाइए, आप भी शतरंज का शौक पूरा कर (मिटा) लीजिए । शौक फरमाना = दे॰ 'शोक करना' । शौक से = प्रसन्नतापूर्वक । आनंद से । जैसे—हाँ हाँ, आप भी शौक से चलिए ।
२. आकांक्षा । लालसा । हौसिला । जैसे,—मुझे आज तक इस बात का शौक ही रहा कि लोग तुम्हारी तारीफ करते ।
३. व्यसन । चसका । चाट । जैसे,—(क) आजकल उसे शराब का शोक हो गया है । (ख) आपका गंगास्नान का शौक कब से हुआ ? क्रि॰ प्र॰—लगना ।—लगाना ।—होना ।
४. प्रवृत्ति । झुकाव । जैसे,—जरा आपका शौक तो देखिए, पेड़ पर चढ़ने चले हैं ।
शौक ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. शुकसमूह । तोतों का झुंड ।
२. रतिबंध का एक प्रकरा (को॰) ।
३. शोक की अवस्था । शोक- दशा । शोकपूर्णता (को॰) ।