सँकाना

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सँकाना पु † क्रि॰ अ॰ [सं॰ शड्क] शंकित होना । भीत होना । डरना । उ॰—मुँह मिठास दृग चीकने, भौंहैं सरल सुभाय । तऊ खरे आदर खरौ, छिन छिन हियौ सँकाय ।—बिहारी (शब्द॰) ।