संकर्षण
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
संकर्षण संज्ञा पुं॰ [सं॰ संङ्कर्षण]
१. खींचने की क्रिया ।
२. हल से जोतने की क्रिया ।
३. कृष्ण के भाई बलराम का एक नाम ।
४. एकादश रुद्रों में से एक रुद्र का नाम ।
५. बैष्णवों का एक संप्रदाय जिसके प्रवर्तक निंबाकचिर्य थे ।
६. आकर्षण (को॰) ।
७. छोटा करना (को॰) ।
८. शेषनाग (को॰) ।
९. गर्व : घमंड । अहंकार । (को॰) ।
संकर्षण विद्या संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] एक प्रकार की विद्या जिसमे किसी स्त्री के गर्भ को दूसरी स्त्री में स्थापित किया जाता था । (देवकी के सातवें गर्भ को इसी विद्या द्वारा रोहिणी में स्थापित किया गया था । इसी से बलराम का एक नाम संकर्षण है) ।