संक्षेपदोष

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

संक्षेपदोष संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङ्क्षेप दोष] साहित्य में एक प्रकार का दोष । जिस बात को जितने विस्तार से कहने या लिखने को आवश्यकता हो, उसे उतने विस्तार में न कह या लिखकर कम विस्तार से कहना या लिखना, जिससे प्राय: सुनने या पढ़नेवाले की समझ में उसका ठीक ठीक अभिप्राय न आवे ।