संतत
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
संतत ^१ अव्य॰ [सं॰ सन्तत] सदा । निरंतर । बराबर । लगातार । उ॰—संतत मोपर कृपा करेहू । सेवक जानि तजेहु जनि नेहूँ । मानस, ३ ।६ ।
संतत ^२ वि॰
१. विस्तृत । फैलाया हुआ ।
२. हमेशा रहनेवाला ।
३. बहुत । अधिक ।
४. अविकल । अटूट [को॰] ।
संतत पु † ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सन्तति] दे॰ 'संतति' ।
संतत ज्वर संज्ञा पुं॰ [सं॰ सन्तत ज्वर] वह ज्वर जो आठों पहर रहे । सदा बना रहनेवाला ज्वर । विशेष—वैद्यक के अनुसार यदि ऐसा ज्वर वायु की प्रबलता के कारण होता है तो लगातार सात दिनों तक, यदि पित्त की प्रबलता के कारण हो तो दस दिनों तक रहता है । इसकी गणना विषम ज्वर में की जाती है ।
संतत द्रुम वि॰ [सं॰ सन्ततद्रुम] घने वृक्षोंवाला (जंगल) । (वन) जो सघन वृक्षयुक्त हो [को॰] ।