सिद्धि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
सिद्धि ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] शिव का एक नाम [को॰] ।
सिद्धि ^२ संज्ञा स्त्री॰
१. काम का पूरा होना । पूर्णता । प्रयोजन निकलना । जैसे,—कार्य सिद्ध होना ।
२. सफलता । कृतकार्यता । कामयाबी ।
३. लक्ष्यबेध । निशाना मारना ।
४. परिशोध । बेबाकी । चुकता होना (ऋण का) ।
५. प्रमाणित होना । साबित होना ।
६. किसी बात का ठहराया जाना । निश्चय । पक्का होना ।
७. निर्णय । फैसला । निबटारा ।
८. हल होना ।
९. परिपक्वता । पकंना । सीझना ।
१०. वृद्धि । भाग्योदय । सुखसमृद्धि ।
११. तप या योग के पूरे होने की अलौकिक शक्ति या संपन्नता । विभूति । विशेष—योग की अष्टसिद्धियाँ प्रसिद्ध हैं—अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, और वशित्व । पुराणों में ये आठ सिद्धियाँ और बतलाई गई हैं अंजन, गुटका, पादुका, धातुभेद, वेताल, वज्र, रसायन और योगिनी । सांख्य में सिद्धियाँ इस प्रकार कही गई हैं तार, सुतार, तारतार, रम्यक, आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक ।
१२. मुक्ति । मोक्ष ।
१३. अद्भुत प्रवीणता । कौशल । निपुणता । कमाल । दक्षता ।
१४. प्रभाव । असर ।
१५. नाटक के छत्तीस लक्षणों में से एक जिससे अभिमत वस्तु की सिद्धि के लिये अनेक वस्तुओं का कथन होता है । जैसे,—कृष्ण में जो नीति थी, अर्जुन में जो विक्रम था, सब आपकी विजय के लिये आप में आ जाय ।
१६. ऋद्धि या वृद्धि नाम की ओषधि ।
१७. बुद्धि ।
१८. संगीत में एक श्रुति ।
१९. दुर्गा का एक नाम ।
२०. दक्ष प्रजापति की एक कन्या जो धर्म की पत्नी थी ।
२१. गणेश की दो स्त्रियों में से एक ।
२२. मेढ़ासिगी ।
२३. भाँग । विजया ।
२४. छप्पय छंद के ४१ वें भेद का नाम जिसमें ३० गुरु और ९२ लधु कुल १२२ वर्ण या १५२ मात्राएँ होती हैं ।
२५. राजा जनक की पुत्रवधू । लक्ष्मीनिधि की पत्नी ।
२६. किसी नियम या विधि की वैधता (को॰) ।
२७. समस्या का समाधान (को॰) ।
२८. तत्परता (को॰) ।
२९. सिद्धपादुका जिसे पहनकर जहाँ कही भी आवागमन किया जा सके (को॰) ।
३०. अंतर्धान । लोप (को॰) ।
३१. उत्तम प्रभाव । अच्छा असर (को॰) ।
सिद्धि गुटिका पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] वह गुटिका जिसकी सहायता से रसायन बनाया या इसी प्रकार की और कोई सिद्धि की जाती हो । उ॰—सिद्धि गुटिका अब मो सँग कहा । भएउँ राँग सन हिय न रहा ।—जायसी (शब्द॰) ।