सूर्यकान्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सूर्यकांत संज्ञा पुं॰ [सं॰ सूर्यकान्त]

१. एक प्रकार का स्फटिक या बिल्लौर, सूर्य के सामने रखने से जिसमें से आँच निकलती है । पर्या॰—सूर्यमणि । तपनमणि । रविकांत । सूर्याश्मा । ज्वलनाश्मा दहनोपम । दीप्तोपल । तापन । अर्कोपल । अग्निगर्भ । विशेष—वैद्यक के अनुसार यह उष्ण, निर्मल, रसायन, वात और श्लेष्मा को हरनेवाला और बुद्धि बढ़ानेवाला है ।

२. सूरजमुखी शीशा । आतशी शीशा । विशेष—यह विशेष बनावट का मोटे पेटे का गोल शीशा होता है जो सूर्य की किरनों को एक केंद्र पर एकत्र करता है, जिससे ताप उत्पन्न हो जाता है । इसके भीतर से देखने पर वस्तुएँ बड़े आकार की दिखाई पड़ती हैं ।

३. एक प्रकार का फूल । आदित्यपर्णी ।

४. मार्कंडेयपुराण के अनुसार एक पर्वत का नाम ।