सेर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सेर ^1 संज्ञा पुं. [ सं. ('लीलाबती' में प्रयुक्त)] 1.एक मान या तौल जो सोलह छँटाक अस्सी तोले की होती है । मन का चाली— सवाँ भाग । 2. 106 ढोली पान (तमोली) ।

सेर ^2 संज्ञा स्त्री. [ देश. ] एख प्रकार की मछली ।

सेर ^3 संज्ञा पुं. [ देश. ] एक प्रकार का धान जो अगहन महीने में तैयार ही जाता है और जिसका चावल बहुत दिनों तक रह सकता है ।

सेर पुं.4 संज्ञा पुं. [ फ़ा. शेर ] दे. 'शोर' । उ.— (क) गएन राए तौ बधिअ, तीन सेर विहार चायिअ । — कीर्ति., पृ.58 । (ख) अरि अजा दूथ पै सेर हौ. — गोपाल (शब्द.) । यौ.— सेर बच्चा = एक प्रकार की बंदूक । भोका । उ.— ठुटे सेर बच्चे । भजे बीर कच्चे । — हिम्मतय, पृ.10 ।

सेर पुं. ^5 वि. [ फ़ा. ] तुप्त । उ.— रे मन साहसी साहस राखु सुसाहस सों सब जेर फिरेंगे । ज्यों पद्माकर या सुख में दुख त्यों दुख में सुख सेर फिरेंगे । — पद्माकर (शब्द.) ।