सेल

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सेल संज्ञा पुं॰ [सं॰ शल्य, प्रा॰ सेल अथवा देश॰ सेल्ल]बरछा । भाला । साँग । उ॰—(क) बरसहिं बान सेल घनघोरा । —जायसी । (शब्द॰) । (ख) देखि ज्वालाजाल हाहाकार दसकंध सुनि, कह्नो धरो धरो धाए वीर बलवान हैं । लिए सूल सेल पास परिध प्रचंड दंड, भाजन सनीर धीर धरे धनुबान हैं ।— तुलसी (शब्द॰) । विशेष—यद्यपि यह शब्द कादंबरी में आया है, तथापि प्राकृत ही जान पड़ता है, संस्कृत नहीं ।

सेल ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देशी॰ सेल्लि (=रज्जु)] बद्धी । माला । उ॰— साँपों की सेल पहने मुंडमाल गले में डाले ....... कहने लगे ।—लल्लू (शब्द॰) ।

सेल † ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] नाव से पानी उलीचने का काठ का बरतन ।

सेल ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सिलना (=एक पौधा जिसके रेशों से रस्से बनते थे) अथवा देशी सेल्लि (=रज्जु)]

१. एक प्रकार का सन का रस्सा जो पहाड़ों में पुल बनाने के काम में आता है ।

२. हल में लगी हुई वह नली जिसमें से होकर कूँड में का बीज जमीन पर गिरता है ।

सेल ^५ संज्ञा पुं॰ [अं॰ शेल] तप का वह गोला जिसमें गोलियाँ आदि भरी रहती हैं । (फौज) । यौ॰—सेल का गोला ।