सौदा

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सौदा संज्ञा पुं॰ [अ॰]

१. वह चीज जो खरीदी या बेची जाती हो । क्रय विक्रय की वस्तु । चीज । माल । जैसे,—(क) चलो बाजार से कुछ सौदा ले आवेँ । (ख) तुम्हारा सौदा अच्छा नहीं है । (ग) आप क्या क्या सौदा लीजिएगा? उ॰—(क) ब्योपार तो याँ का बहुत किया, अब वाँ का भी कुछ सौदा लो ।—नजीर (शब्द॰) ।

२. लेन देन । व्यवहार । उ॰—(क) क्या खुब सौदा नक्द है उस हाथ दे इस हाथ ले ।—नजीर (शब्द॰) । (ख) दरजी को खुरपी दरकार नही, वह गेहुँ लेना चाहता है; अत: उन दोनों का सौदा नहीं हो सकता ।—मिश्रबंधु (शब्द॰) । (ग) प्रायः सभी बैंकें एक दुसरे से हिसाब रखती हैं । इस प्रकार सौदे का काम कागजी घोड़ों (चेकों) द्धारा चलता है ।—मिश्रबंधु (शब्द॰) । (घ) जरासुत सो और कोउ नहिं मिलै मोहि दलाल । जो करै सौदा समर को सहज इमि या काल ।—गोपाल (शब्द॰) । मुहा॰—सौदा पटना = क्रयविक्रय की बातचीत ठीक होना । जैसे,—तुमसे सौदा नहीं पटेगा । उ॰—आखिर इसी बहाने मिला यार से नजीर । कपड़े बला से फट गए सौदा तो पट गया ।—नजीर (शब्द॰) ।

३. क्रय विक्रय । खरीद फरोख्त । व्यापार । उ॰—और बनिज मैं नाहीं लाहा होत मुल में हानि । सुर स्वामि को सौदो साँचो कहो हमारो मानि ।—सुर (शब्द॰) ।

४. खरीदने या बेचने की बातचीत पक्की करना । जैसे,—उन्होंने पचास गाँठ का सौदा किया । उ॰—राजा खुद तिजारत करता है, बिना उसकी आज्ञा के राँगा, हाथीदाँत, सीसा इत्यादि का कोई सौदा नहीं कर सकता ।—शिवप्रसाद (शब्द॰) । यौ॰—सौदागर = व्यापारी । सौदासुलुफ = खरीदने की चीज । वस्तु । सौदासुत = व्यवहार । उ॰—सुहृद समाजु दगाबाजी हो को सौदासुत जब जाको काजु तब मिलें पायँ परि सो ।— तुलसी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—पटना ।—लेना ।—होना ।

सौदा ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰]

१. पागलपन । बावलापन । दीवानापन । उन्माद ।

२. उर्दु के एक प्रसिद्ध कवि का नाम ।

३. प्रेम । मुहब्बत । इश्क (को॰) ।

४. युनानी चिकित्सा शास्त्र में कथित चार दोषों में एक जो स्याह या काला रग का होता है (को॰) ।

सौदा † ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] वे काट छाँटकर साफ किए हुए पान के पत्ते जो ढोली में सड़ गए हों । (तंबोली) ।